समस्तीपुर: बूढ़ी गंडक लाल निशान को पार चुका है इसके साथ लोगों की चिंता बढ़ने लगी है. नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. साथ ही नदी के तटबंध पर जल दबाव का खतरा भी बढ़ता जा रहा है. लगातार जारी वर्षा के कारण नदी के तटबंध पर जगह-जगह रेनकट बन गये हैं.
कुछ जगहों पर सैंड बैग रखकर रेनकट को रोकने का प्रयास किया जा रहा है. बावजूद वर्षा के साथ रेनकट बढ़ता जा रहा है. शहर के मगरदही घाट के पास पक्की सड़क में रेनकट बन गया है, जगह-जगह छोटी-बड़ी रेनकट और दरारें दिख रही है, जो वर्षा के गहरा होता जा रहा है.
बांध की यह स्थिति शहरवासियों के लिये चिंता का कारण बन रही है. समय रहते अगर रेनकटों को दुरुस्त नहीं कराया गया तो नदी के बढ़ते जल दबाव के साथ बांध पर खतरा बढ़ता जायेगा.
नदी को दायें और बायें दोनों ओर के तटबंध में रेनकट और दरारें बढ़ती जा रही है. दूसरी ओर नदी के तटबंध के दोनों ओर घर बने होने के कारण भी बांध की स्थिति कमजोर बनी हुई है. चूहों द्वारा मांद बना दिया गया है.
जल दबाव बढ़ने पर इससे पानी का रिसाव होने का खतरा बना रहता है नदी का जलस्तर समस्तीपुर खतरे के निशान से 9 सेन्टीमीटर ऊपर बह रहा है. इस जगह नदी का जलस्तर 45.82 मीटर पर पहुंच चुका है वहीं खतरे का निशान 45.72 मीटर पर अंकित है.
दूसरी ओर बूढ़ी गंडक नदी जलस्तर रोसड़ा में लगातार खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है इस जगह नदी का 43.23 मीटर पर वह रहा है यहां लाल निशान 42.63 मीटर पर अंकित है दोनों
जगहों पर नदी जलस्तर की बढ़ने की प्रवृति है समस्तीपुर अनुमंडल में बूढ़ी गंडक नदी का तटबंध 1972 में सबसे पहले कल्याणपुर प्रखंड के रामपुरा में टूटा था उसके बाद वर्ष 2004 में मोहनपुर में, वर्ष 2007 में सोमनाहा तथा वारिसनगर के हांसा के पास भी नदी का तटबंध टूटकर ताबाही मचा चुका है तटबंध के
रिसाव समस्तीपुर शहर में कई बार खतरे की चपेट में आ चुका है हालांकि प्रशासन और शहरवासियों ने मिलकर हर बार शहर को बचा लिया है. अंतिम समय में अफरातफरी की स्थिति से बचने के लिये बेहतर है कि समय रहते तटबंधों पर ध्यान केन्द्रित किया जाये.
इधर बागमती नदी का जलस्तर भी हायाघाट में लगातार खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है. इस जगह नदी का जलस्तर 46.09 मीटर पर है, जबकि लाल निशान 45.72 मीटर पर है गंगा नदी का जलस्तर 44.60 मीटर पर स्थित है बागमती नदी के बांध के भीतर बसे पंचायतों में परेशानी बढ़ती जा रही है.