रांची: हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं. इस दिन महिलाएं अपना सोलह सिंगार कर हाथों में मेहंदी लगाती है.
कहा जाता है यह वह समय होता है जब सावन में प्रकृति ने हरियाली की चादर ओढ़ी हुई होती है. यही वजह है इस त्यौहार को हरियाली तीज कहते हैं.
ज्योतिषाचार्य राजेश कुमार शर्मा के अनुसार: हरियाली तीज इस वर्ष 23 जुलाई दिन गुरुवार को मनाई जाएगी यह 22 जुलाई की सायं काल 7: 23 से प्रारंभ होकर 23 जुलाई सायं 5:04 तक मुहूर्त रहेगा. हरियाली तीज का पर्व वैसे तो पूरे भारत में ही मनाया जाता है परंतु मुख्यता उत्तर भारत में इसका प्रचलन अधिक है इसे कजली तीज के रूप में भी जाना जाता है. प्रेम और आस्था के इस त्यौहार का सीधा संबंध भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन से जोड़ा जाता है.
*हरियाली तीज पूजा विधि*
इस शुभ दिन को प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान कर मन में निष्ठा से पूजा का संकल्प लेना चाहिए.
इस दिन पूजा के दौरान मां कुरु कल्याणी कांत कांता सु दुर्लभाम का जाप करना चाहिए .
सुहाग की सभी चीजें मां पार्वती को समर्पण करना चाहिए.
इसके उपरांत तीज की कथा सुननी चाहिए.
पूजा इत्यादि के उपरांत सुहागन अपनी सास या अन्य सुहागन सम्मानित महिला को सुहाग की सारी चीजें दान दी जाती हैं.
इस एक दिन बहुत खूबसूरत परंपरा का पालन भी किया जाता है, जिसमें बागों में झूले डाले जाते हैं और महिलाएं इस पर झूलती हैं लोक गीतों पर नाचती गाती हैं.
हरियाली तीज पर कुछ बातों को छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए
पहली बात- पति से किसी भी बात पर छल कपट नहीं करना हैय
दूसरी बात-अपने पति से झूठ नहीं बोलना है और ना ही उनके साथ कोई दुर्व्यवहार करना है.
तीसरी बात-किसी भी बात पर दूसरों की बुराई करने से बचना है.
तीज पर यह तीन बातें महत्वपूर्ण होती हैं.
मां गौरी सभी की मनोकामना पूर्ण करें.
हरियाली तीज की सभी भारतीय सुहागिन नारियों को बहुत-बहुत मंगल कामनाएं.
राजेश कुमार शर्मा ज्योतिषाचार्य
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