जमीन अधिग्रहण के एवज में करीब 8000 करोड़ रुपये बकाया भुगतान का आग्रह किया
रांची : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा कोयले के वाणिज्यिक खनन की निविदा निकालने के फैसले के खिलाफ सर्वाच्च न्यायालय जाने के निर्णय की मजबूरियों से केंद्रीय कोयला मंत्री को अवगत कराया गया. हेमंत सोरेन ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा वाणिज्यिक खनन का फैसला लेने के पहले यदि झारखंड सरकार से वार्ता कर ली गयी होती, तो संभवतः राज्य सरकार का स्टैंड कुछ अलग होता. उन्होंने बताया कि केंद्रीय कोयला मंत्री ने भी स्वीकार किया कि संवाद में कहीं न कहीं कमी रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय मंत्री सकारात्मक सोच के साथ आये है, राज्य सरकार भी सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ रही है। हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर आगे बढ़ रही है, सरकार की कोशिश है कि सही सामंजस्य के साथ यहां के विस्थापितों, किसानों और जंगल में रहने वाले लोगों के हितों को ध्यान में रखकर फैसला लेगी, क्या बेहतर रास्ता निकाला जा सकता है, इस पर लेकर वे अधिकारियों से लगातार बातचीत कर रहे है.
ज्ञातव्य हो कि केंद्र सरकार के कमर्मिशल माइनिंग फैसले के खिलाफ झारखंड सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गयी है, इस याचिका पर अदालत की ओर से केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया गया है।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राष्ट्रीयकरण के बाद पहली बार भूमि अधिग्रहण के एवज में कोल इंडिया द्वारा राज्य सरकार को 250 करोड़ रुपये का मुआवजे का भुगतान किया गया है। यह राज्य के विकास के लिए बड़ी बात है। राज्य सरकार की ओर से 1 अप्रैल 2009 से 31 मार्च 2019 के अंतर्गत कोल इंडिया लि. द्वारा अधिगृहित की गयी 14296एकड़ सरकारी भूमि के एवज में 5439 करोड़ तथा 5298 एकड़ जंगल-झाड़ी भूमि के लिए 2787 करोड़ रुपये के भुगतान का मुद्दा उठाया। कोल इंडिया द्वारा आज जितनी भी राज्य सरकार की सरकारी भूमि खनन कार्य के लिए ली गयी है,उसके एवज में जमीन की कीमत का भुगतान राज्य सरकार को नहीं किया गया, छह महीने से राज्य सरकार इस मुद्दे को लगातार भारत सरकार के समक्ष उठा रही थी। मुख्यमंत्री के प्रयास से 19वर्ष पुराने मुद्दे का समाधान निकला और केंद्रीय कोयला मंत्री द्वारा तत्काल 250करोड़ रुपये का चेक मुख्यमंत्री को आज सौंपा। सत्यापन के बाद शेष्ज्ञ राशि के भुगतान पर भी सहमति दी गयी है। राज्य सरकार ने 1 अप्रैल 2009 से पहले और 1 अप्रैल 19 से 31 मार्च 20 तक अधिगृहित की गयी सरकारी भूमि के एवज में कोल इंडिया लि. द्वारा भुगतान की जाने वाली राशि से संबंधित मांग भी शीघ्र भेजने का निर्णय लिया गया। कोयला खनन से संबंधित भूमि पर कोल कंपनी द्वारा विस्थापितों को बसाने के कारण विस्थापितों को हो रही विभिन्न समस्याओं की ओर भारत सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया गया है। मुख्यमंत्री ने कोल कंपनियों द्वारा वाश कोल की बिक्री दर के आधार पर रॉयल्टी का भुगतान नहीं करने के कारण राज्य सरकार को हो रही हानि के मामले में प्रमुखता से उठाया। इसके अलावा बंद पड़े खदान जो उत्खनन के बाद ऐसे ही पड़े है,उसे पर्यावरण नियम के अनुसार समतल करके उपर पर पौधरोपण करने के लिए केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट किया गया।