रांची: चक्र सुदर्शन मुहूर्त में नारायण ने पृथ्वी पर जन्म लिया आदिकाल में विश्वकर्मा ने इसी मुहूर्त में सूर्य के अतिशय तेज से शिव का त्रिशूल और सुदर्शन चक्र का निर्माण किया था. अतः यह मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ माना जाता है इसके मध्य किया गया कोई भी कार्य असफल नहीं होता. रामचरितमानस में भी कहा गया है ‘नवमी तिथि मधुमास पुनीता/ शुक्ल पक्ष अभिजीत हरप्रीता// मध्य दिवस अतिशीत न धामा/ पावन काल लोक विश्रामा// इस पंक्ति से स्पष्ट होता है प्रभु का जन्म दोपहर 11:36 से 12:24 के मध्य हुआ है.
5 अगस्त को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन होते ही निर्माण कार्य आरंभ हो जाएगा. पूजन का समय भी अभिजीत मुहूर्त ही है. उसमें भी कुछ 32 सेकंड बेहद खास रहने वाले हैं. इसमें 12:15 15 सेकंड के बाद 32 सेकेंड के अंदर पहली ईंट रखनी अनिवार्य होगी
गोस्वामी जी ने लिखा है
- योग लग्न ग्रह वार तिथि सकल भऐ अनुकूल.
- शुभ अरु अशुभ हर्ष जूत रामजन्म सुख मूल.
- ग्रह नक्षत्रों की अनुकूलता होते हुए भी उन्होंने सामाजिक संदेश के लिए अपने जीवन को अलौकिक दृष्टि से कष्टकारी बनाया सभी को श्रीराम के आदर्शों पर चलने का संकल्प लेना चाहिए.
- यद्यपि प्रभु श्री राम के जन्म हुए लाखो वर्ष व्यतीत हो चुके हैं परंतु आज भी उनका नाम लेते ही यह आभास होता है प्रभु धनुष बाण लिए पास में ही खड़े हैं.