रांची: वन विभाग की टीम ने झारखंड के एक गांव में जल संकट को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. इस टीम ने पहले जल संकट के स्थानीय कारकों को समझने का प्रयास किया और फिर दृढ़ विश्वास से गांव के जल संकट का समाधान किया गया. यह कहानी झारखंड के एक ऐसे गांव की कहानी है, जहां अच्छी मॉनसून के बावजूद भी ग्रामीणों को पेयजल के साथ ही खेती कार्य के लिए पानी की समस्या से जूझना पड़ता था.
लोहरदगा वन प्रमंडल के बनारी पहाड़ी क्षेत्र के तराई में बसे एक छोटे से गांव जहुप में अधिकांश समय लोगों को जल संकट का सामना करना पड़ता था. गांव की इस स्थिति में परिवर्तन के वाहक वन विभाग में कार्यरत हीरालाल उरांव बने. उनके माध्यम से जब यह समस्या वन विभाग के संज्ञान में आया, तो वर्षा जल के बहाव को व्यवस्थित करने का निर्णय लिया गया.
क्षेत्र में अल्पवृष्टि और भौगोलिक कारणों से जल संकट को दूर करने के लिए वन विभाग के अधिकारियों ने आसपास के ग्रामीणों के साथ मिलकर बैठक की और जल संकट को दूर करने के लिए विस्तृत योजना बनायी गयी. इसके तहत जहुप वन क्षेत्र के ऊपरी हिस्से में दो चेक डैम का निर्माण कराया गया और फिर स्थानीय लोगों की मदद से तालाब के पुराने तालाब तथा अन्य जलाशयों का जीर्णाद्धार करने के साथ ही चेक डैम से गांव तक पानी पहुंचाने के लिए दो किलोमीटर नाले का निर्माण कराया गया.
इसके अलावा वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए ट्रेंच का निर्माण कराया गया, कुछ दिनों बाद मॉनसून में चमत्कारिक परिवर्तन देखने को मिला. हाल के वर्षां में जो तालाब और जलाशय बारिश के मौसम में भी सूखे नजर आते थे, उन सभी जलाशयों में पानी भर गया. गांव के आसपास के रहने वाले किसान अब साल में एक फसल की जगह दो फसल उगाने में जुटे है.