रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे संसदीय परंपरा को दरकिनार करने और स्पीकर के न्यायाधिकरण पर अनुचित दबाव बनाये जाने का आरोप लगाया है.
पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार में लगभग साढ़े चार वर्षां तक बाबूलाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा के छह विधायकों के दल-बदल के मुद्दों को सरकार की दबाव के कारण लटकाये रखे गया और विधानसभा चुनाव के कुछ महीने जब स्पीकर ने फैसला सुनाया, तो उसी वक्त झाविमो के भाजपा की विलय को मंजूरी प्रदान की गयी.
बाद में बाबूलाल मरांडी ने 2019 का चुनाव भी विधानसभा चुनाव झाविमो के बैनर तले ही लड़ा और राजधनवार विधानसभा क्षेत्र की जनता के साथ छल करते हुए सारी निर्लज्जता को पार करते हुए भाजपा में शामिल हो गये. हालांकि झाविमो के दो अन्य विधायकों प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने जनादेश का सम्मान करते हुए भाजपा में जाने से इंकार कर दिया और उन्होंने अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कराने का निर्णय लिया.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता ने कहा कि यह दल बदल का मामला अभी विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष विचाराधीन है और यह उम्मीद है कि स्पीकर सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करने और कानूनी सलाह-मशविरा के बाद फैसला लेंगे, इसलिए भाजपा को दबाव बनाने की राजनीति छोड़ कर कर लॉकडाउन से उत्पन्न स्थिति से निपटने में सरकार को सहयोग करना चाहिए.
कांग्रेस के प्रदेश सह प्रभारी उमंग सिंघार के झारखंड दौरे पर उन्होंने साफ किया कि वे राज्य प्रशासन से अनुमति प्राप्त कर झारखंड आये थे और बीच में ही जब उन्हें यह सूचना दी गयी कि उनके दौरे की अनुमति को रद्द कर दिया गया है, तो वापस लौट गये, इसलिए भाजपा को ऐसे मुद्दों पर राजनीति करने से बाज आना चाहिए.