गुना: वनाधिकार दावों की हुई समीक्षा कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने कहा है कि बमोरी फतेहगढ़ क्षेत्र में प्रतिदिन वनभूमि में कब्जे को लेकर विवाद हो रहे हैं. कानून-व्यवस्था की स्थिति निर्मित हो रही है. ऐसे विवाद तत्काल समाप्त हों.
आदिवासियों के मारपीट अथवा दुर्व्यवहार को गंभीरता से लिया जाएगा. उन्होंने यह बात आज जिला कार्यालय में वनाधिकार अधिनियम अंतर्गत आयोजित जिला स्तरीय समिति की बैठक में कही.
इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार सिंह, डीएफओ डी.के. पालिवाल, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत निलेश परीख, जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण राजेन्द्र कुमार जाटव सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे.
इस दौरान बमोरी, आरोन, राघौगढ एवं चांचौड़ा एसडीएम तथा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से जुडे़ रहे.
वनाधिकार के मान्य, अमान्य एवं लंबित दावों की समीक्षा के दौरान उन्होंने कहा कि वनाधिकार हेतु अमान्य या निरस्त किए दावों के वैध कारण होना आवश्यक है.
संबंधित अधिकारी इसका गंभीरता से परीक्षण करें. उन्होंने गुना-बमोरी के तहसीलदारों एवं सीईओ जनपद को अमान्य दावों की सूची प्रस्तुत कर परीक्षण कराने के निर्देश दिए.
इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक सिंह ने कहा कि वन विभाग अपनी संपत्ति की सुरक्षा करने का प्रबंध करें. गस्त बढा़एं और राजस्व, पुलिस एवं वन विभाग की ग्राम स्तर पर संयुक्त बैठकें बुलाएं. उन्होंने उक्त बैठकों में विभिन्न समाज के प्रभावशाली व्यक्ति को भी आमंत्रित करने निर्देश दिए.
बैठक में वन मण्डलाधिकारी पालिवाल ने बताया कि वनाधिकार अधिनियम अंतर्गत प्रचलित कार्रवाई के मद्देनजर लोगों में वनभूमि में पट्टे के लिए कब्जा करने की स्थिति के कारण विवाद की स्थितियां निर्मित हो रही हैं. उन्होंने बताया कि वनाधिकार के दावे 2005 की सेटलाईट ईमेज के आधार पर निराकरण होंगे.
इस अवसर पर जिला संयोजक आदिम जाति कल्याण जाटव ने बताया कि वनाधिकार अधिनियम अंतर्गत दावों के लिए ऐसे आदिवासी जिनका 31 दिसंबर 2005 के पूर्व वनभूमि पर कब्जा है तथा अन्य परंपरागत दावों की तीन पीढ़ी अथवा 75 साल कब्जा होना आवश्यक है.