👉🏻 सावनाडीह के ग्रामीण पिछले चार साल से ढिबरी युग में रहने को विवश
👉🏻 ट्रांसफार्मर जले चार साल हो चुके हैं मगर बिजली बिल चालू हैं. बिजली बिना जलाए ही ग्रामीण हजारों रुपये के कर्जदार हो चुके हैं
👉🏻 राशनकार्ड में 40 रुपया लीटर के दर से एक लीटर केरोसिन तेल मिलता है
👉🏻 गांव में एक भी पीएम आवास न सरकारी शौचालय ही बन पाया
👉🏻 आंगनबाड़ी से पोषाहार भी रेगुलर नहीं मिलता
पूर्वी सिंहभूम: जिला अंतर्गत रसूनचोपा के सावनाडी गांव जहां 2016 में ग्रामीण विद्युतीकरण के तहत बिजली तो आई मगर ट्रांसफार्मर जल जाने के बाद आज 4 साल बीत चुके हैं.
गांव में नहीं लगा ट्रांसफार्मर, जिसके कारण 4 साल से गांव ढिबरी युग में रहने को विवश है. राशन दुकान से 1 लीटर केरोसिन तेल मिलने से बच्चों की पढ़ाई भी रात को नहीं हो पाती है और न ही सारा रात ढिबरी जला सकते हैं.
गांव में एक भी आदमी का पीएम आवास नहीं बन पाया, न शौचालय ही बन पाया है. गांव तक पहुंचने का सड़क इतना जर्जर है कि लोग नहीं पहुंच सकते हैं.
गांव के लोग आज भी प्राचीन युग में जीने को विवश है. ऐसा लगता है मानो सरकार की योजनाएं इस गांव तक नहीं पहुंच पाई. आंगनवाड़ी की सुविधाएं भी बच्चों तक नहीं पहुंच पा रही है. पोषाहार कभी मिलता है तो कभी नहीं.