रांची: एकीकृत पारा शिक्षक संघर्ष मोर्चा की राज्य इकाई सरकार से पारा शिक्षकों के स्थायीकरण व वेतनमान की नियमावली को अविलंब कैबिनेट से पारित करने की मांग करती है.
सूबे के माननीय मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चुनाव पूर्व अपनी प्रत्येक सभा में सरकार गठन के 3 माह में स्थायीकरण व वेतनमान का वायदा किया था. साथ हीं जेएमएम के घोषणा पत्र में भी इसका वर्णन है, परंतु 8 माह बीत जाने के बावजूद स्थिति यथावत है.
वर्तमान सरकार में 5 फरवरी एवं 9 जून को उच्चस्तरीय कमेटी की बैठक होने के पश्चात भी प्रस्तावित नियमावली विभागों के पेंच में उलझी है. कभी विधि तो कभी शिक्षा विभाग.
मुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री इस पर संज्ञान लें, क्योंकि 17 -18 वर्षों से अपने भविष्य को लेकर सूबे के 65 हजार पारा शिक्षक इस सरकार से कल्याण की आस लगाए बैठे हैं.
नित प्रतिदिन कोई न कोई पारा शिक्षक मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं/बिना किसी लाभ के सेवानिवृत्त हो रहे हैं. उनके परिजन दर दर की ठोकरें खाने को विवश हैं. ऐसी स्थिति में राज्य के पारा शिक्षकों का धैर्य जवाब दे रहा है.
15 अगस्त के बाद राज्य इकाई का एक शिष्टमंडल सूबे के शिक्षा मंत्री से मिलेगा एवं नियमावली सहित पारा शिक्षकों की विभिन्न तात्कालिक समस्याओं यथा एनसी, अप्रशिक्षित एवं पलामू जिले के छतरपुर व नौडीहा बाजार के 436 पारा शिक्षकों के लंबित मानदेय भुगतान आदि पर बात रखेगा.
यदि 4 सितंबर तक नियमावली कैबिनेट से पारित नहीं हुई तो बाध्य होकर 5 सितंबर 2020 से चरणबद्ध आंदोलन प्रारंभ किया जाएगा. कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा 15 अगस्त के बाद राज्य इकाई व जिला इकाई के अगुआ साथियों से व्यापक विचार विमर्श कर घोषित की जाएगी.