मुंगेर: अंग जनपद के धरोहर के रूप में शुमार डॉक्टर मृदुला झा का जन्म बेगूसराय में 5 दिसंबर 1946 को हुआ था. 9 अगस्त 2020 को लगभग10:45 रात्रि में डॉक्टर मृदुला झा ने दुनिया को अलविदा कह दिया.
पिछले कई महीनों से मृदुला झा बेहद बीमार थी उनकी सेवा में केंद्रीय वित्त मंत्रालय में कार्यरत उनके एकमात्र पुत्र रत्नेश्वर पुत्र वधू लगे हुए थे. डॉक्टर मृदुला झा की शादी चर्चित वन प्रमंडल पदाधिकारी स्मृति शेष अशरफी झा से हुई थी.
विवाह उपरांत मुंगेर इस दंपति को इतना भाया की. उन्होंने मुंगेर के बेलन बाजार में अपनी गृहस्ती बसा ली. करीब एक दशक पूर्व उनके पति के महाप्रयाण के उपरांत उन्होंने अपने जीवन के एकाकीपन को दूर करने के लिए अपने जीवन को साहित्य के विभिन्न रंगों से रंग दिया एवं डेढ़ दर्जन से अधिक पुस्तकें लिख डाली.
उनके द्वारा लिखी गई पुस्तकें हैं-मेघा तुम उनसे जाकर कहना, प्रतीक्षा, हथेली पर कविता, बंधुआ का सपना, झुमकी की उड़ान, त्रीभंगिमा, अनुभूतियों के इंद्रधनुष, वीपथगा, सतरंगी यादों का कारवां, 21वी कहानियां, नैवेद्य, 21वीं सदी में साहित्य संस्कृति एवं समाज, यादें, मन के वातायन,डॉक्टर मृदुला झा का साहित्य संसार, सच तो है, एक सच ऐसा भी, सबके सपने सब की आशा.
डॉक्टर मृदुला झा विद्या वाचस्पति, विद्यासागर, साहित्य सागर, विमल साहित्य सम्राट एव शब्द रत्न जैसे मानद उपाधियों से भी अलंकृत थी.
उन्होंने उज्बेकिस्तान, वियतनाम, कंबोडिया, थाईलैंड, मॉरीशस, श्रीलंका, नीदरलैंड, बेल्जियम, फ्रांस ,जर्मनी ,स्वीटजरलैंड इत्यादि देशों की साहित्यिक यात्राएं कर अपने देश का नाम रौशन किया.