रांचीः यूपीएससी ने झारखंड सरकार से पूछा है कि तत्कालीन डीजीपी के चौबे को क्यों हटाया गया. आयोग का यह पत्र राज्य सरकार को मिल गया है इसका जवाब 1 से 2 दिन में भेज दिया जाएगा. तत्कालीन डीजीपी केएन चौबे को हटाकर होमगार्ड के डीजी एमवी राव को झारखंड में डीजीपी का प्रभार दिया गया है. एमवी राव के डीजीपी बनने के बाद पुलिस महकमा में बड़ा परिवर्तन हुआ.
कोयला,लोहा और बालू की तस्करी पर रोक लगा दी गई. साथ ही वैसे पुलिस अधिकारियों को हटा दिया गया जिस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे. इसके बाद से ही पुलिस का एक बड़ा महकमा एमवी राव का विरोध करने लगा है.
पूर्व डीजीपी खुद अपनी इच्छा से दिल्ली में चाहते थे पदस्थापन
बताते चलें कि पूर्व डीजीपी खुद अपनी इच्छा से दिल्ली में पदस्थापन चाहते थे. इसके लिए उन्होंने सरकार के अधिकारियों को अपनी भावना से अवगत भी कराया था. यूपीएससी ने सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले के आधार पर सरकार से जवाब मांगा है वह फील्ड अफसरों के पदस्थापन से संबंधित है, जिसमें थाना प्रभारी, इंस्पेक्टर, एसपी, आईजी और डीजीपी का कार्यकाल 2 वर्ष रखा गया है इन अधिकारियों को दो साल से कम में बदला जाएगा तो उसका उचित आधार देना होगा.
झारखंड में कई वर्षों से इस आदेश का पालन नहीं होता है. एक समय ऐसा था कि 11 जिलों में प्रभारी एसपी हुआ करते थे. झारखंड में थानेदार और डीएसपी 5 माह से 1 साल के बीच बदले गए हैं इनकी संख्या दो हजार से अधिक है. इसके पहले भी डीजीपी के पद पर पदस्थापित कई अधिकारी कम समय में ही बदल दिए गए.
एमवी राय का विरोध पुलिस में ही एक तबका कर रहा है. यह तबका रांची और दिल्ली का भी दौड़ लगा रहा है. विरोध करने वालों में कई ऐसे अधिकारी शामिल हैं जो खुद कई आरोपों से घिरे हैं. वैसे अधिकारी चाहते हैं कि किसी तरह एमवी राव को बदल दिया जाए.