नई दिल्ली: कोरोनो को लेकर पढ़ाई का नुकसान होने के बावजूद यह साल ‘जीरो वर्ष’ नहीं होगा और इसे सत्र में माना जाएगा.चार महीने से बंद स्कूलों को सितंबर-अक्तूबर में फिर से खोला जा सकता है. हालांकि देश में कोरोना के हालात का आकलन करने के बाद ही मध्य सितंबर में अंतिम फैसला किया जाएगा. राज्यों और अभिभावकों से मिले सुझाव और आपत्तियों को ध्यान में रखकर सरकार इसका खाका तैयार कर रही है. बैठक में यह तय हुआ कि चरणबद्ध तरीके से स्कूल खोला जाए. प्राथमिक कक्षाएं घर से ही चलेंगी.
अधिकारी के मुताबिक, शैक्षणिक सत्र 2020-21 का आधा सत्र बीत चुका है. अनलॉक-3 में देश खुल रहा है, लेकिन शिक्षण संस्थान बंद हैं, इसलिए स्कूलों को खोलने के लिए राज्यों के जरिये अभिभावकों की राय ली गई थी. इसमें राज्यों की अलग-अलग (सितंबर और अक्तूबर) राय है.
वहीं अभिभावक अक्तूबर तक खोलने के पक्षधर हैं. उन्होंने बताया कि टीवी, रेडियो, मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर से ऑनलाइन क्लास चल रही हैं, लेकिन पूरी तरह ऑनलाइन पढ़ाई संभव नहीं है. लिहाजा सितंबर अक्तूबर में स्कूल दोबारा खोला जाए. शिक्षा मंत्रालय, स्वास्थ्य मंत्रालय और गृहमंत्रालय मिलकर गाइडलाइन बनाएंगे. स्कूल खोलने का आखिरी फैसला राज्यों पर छोड़ा जाएगा.
दो शिफ्टों में चलाने पर विचार
फिलहाल बोर्ड परीक्षा के छात्रों से स्कूल खुलने की शुरुआत होगी. इसमें आधे छात्रों को एक शिफ्ट और अन्य को दूसरी शिफ्ट में बुलाया जाएगा. दो शिफ्ट के बीच ढाई घंटे का अंतराल रहेगा, ताकि स्कूल परिसर को सैनेटाइज किया जा सके. पहली शिफ्ट की कक्षाओं में दूसरी शिफ्ट नहीं चलेगी.
एक क्लासरूम में दोबारा क्लास लेने के बीच 15 से 24 घंटे का अंतराल जरूरी होगा. इसलिए स्थानीय प्रशासन स्कूलों से पूरी जानकारी लेगा. बोर्ड कक्षाओं के बाद धीरे-धीरे 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा स्कूल से चलेगी.
कम समय के लिए लगेगी क्लास
स्कूल दोबारा खुलने पर समय-सीमा तीन या चार घंटे की रहेगी. इसका मकसद जरूरी विषयों की पढ़ाई करवानी होगी. एक दिन एक विषय दूसरे दिन दूसरे विषय की पढ़ाई होगी. इसमें कम से कम किताब स्कूल लानी होगी. समय घटाने के कारण स्कूल में लंच ब्रेक नहीं होगा.
नवंबर तक छठीं कक्षा को मौका
दिवाली तक यदि हालात सुधरते हैं तो छठी, सातवीं और आठवीं कक्षा के छात्रों को भी शिफ्टों में स्कूल बुलाया जाएगा. हालांकि पहले की तरह यहां भी सावधानी व नियम तय होंगे.