रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे और राजेश गुप्ता छोटू ने झारखंड के नये प्रतीक चिह्न के अनावरण पर राज्य सरकार को बधाई दी है. पार्टी की ओर से मनरेगा की तर्ज पर झारखंड के शहरी क्षेत्रों में रहने वाले असंगठित कामगारों के लिए नयी श्रमिक योजना शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया है.
पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता ने कहा कि केंद्र की पूर्ववर्ती यूपीए शासनकाल में गांव में रहने वाले श्रमिकों को 100 दिनों के लिए रोजगार की गारंटी उपलब्ध कराने के लिए मनरेगा योजना की शुरुआत की गयी. यह योजना यूपीए शासनकाल में देश की एक बड़ी आबादी को रोजगार उपलब्ध कराने में सफल रहा, वहीं देश के विकास में भी सहायक बना, लेकिन एनडीए सरकार के आते ही इस योजना को जानबूझ कर कमजोर करने का प्रयास किया गया, इसके बावजूद वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमणकाल में मनरेगा प्रवासी श्रमिकों और गांव में रहने वाले श्रमिकों के लिए काफी मददगार साबित हुआ. उन्होंने कहा कि गांव की तरह शहरी क्षेत्रों में भी इस संकट की घड़ी में रोजगार मुहैय्या कराना जरूरी था, इसलिए कांग्रेस गठबंधन वाली सरकार ने शहरी क्षेत्रों में रहने वाले अकुशल श्रमिकों के लिए मुख्यमंत्री श्रमिक योजना शुरुआत करने का निर्णय लिया गया. उन्होंने कहा कि राज्य के 51 नगर निकाय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को इस योजना का लाभ मिल पाएगा और मुश्किल में पड़े लोगों के लिए यह योजना मनरेगा की तरह की बड़ी ही सहायक सिद्ध होगी.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने झारखंड के नये प्रतीक चिह्न को राज्य की सभ्यता-संस्कृति और संसाधन के अनुकूल बताते हुए कहा कि अशोक स्तंभ- राष्ट्र का प्रतीक चिन्ह होने के साथ राज्य की भी संप्रभुता का वाहक. जबकि झारखण्ड की समृद्ध एवं अद्भुत सांस्कृतिक विरासत, सदियों पुरानी परंपरा, वाद्ययंत्र, गीत और नृत्य की अमिट छाप को लोगों के जेहन में प्रतिबिम्बित करता है. वहीं पलाश के फूल- राज्य का राजकीय पुष्प. इसके सुर्ख लाल रंग के फूल झारखण्ड के सौंदर्य की गाथा कहते हैं. हरा रंग- झारखण्ड की हरियाली से आच्छादित धरा व वन संपदा की परिपूर्णता को दर्शाता है. यह खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक, जबकि हाथी – राज्य के राजकीय पशु हाथी को दिखाया गया है. यह राज्य की अलौकिक प्राकृतिक संपदा और समृद्धि का घोतक है. हाथी अनुशासन प्रिय भी होते हैं. ऐसे ही यहां के लोग भी अनुशासन प्रिय हैं. हां छेड़छाड़ करने की स्थिति में संघर्ष में भी पीछे नहीं रहते.