रांचीः झारखंड में बिजली वितरण की व्यवस्था निजी हाथों में जा सकती है. इस पर पीपीपी मॉडल पर जोर दिया जा रहा है. फिलहाल राज्य ऊर्जा विकास निगम की कंपनी बिजली वितरण निगम के जिम्मे यह काम है.
2014 में अस्तित्व में आने के बाद से ही कंपनी का समग्र तकनीकी एवं वाणिज्य घाटा (एटी एंड सी लास) अधिक है. ऐसा कम बिलिंग और राजस्व संग्रह की वजह से हो रहा है. इसके कारण संचालन और बेहतर वित्तीय प्रदर्शन में परेशानी आ रही है.
विद्युत वितरण में सुधार के लिए इस क्षेत्र में व्यापक पूंजी निवेश के साथ-साथ बेहतर प्रबंधन और संचालन क्षमता में सुधार के लिए किए गए अध्ययन में निजी साझेदारी को बेहतर विकल्प बताया गया है.
इस बाबत विश्व बैंक की परामर्शी एसबीआई कैपिटल मार्केट्स ने झारखंड बिजली वितरण निगम में पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) माडल का अध्ययन कर कांसेप्ट नोट तैयार किया है.
इसमें पीपीपी के विभिन्न बिजनेस माडल और इसमें से बेहतर मॉडल का सुझाव दिया गया है. कांसेप्ट नोट के आधार पर निगम की 37वीं बोर्ड मीटिंग में इस बाबत प्रस्ताव तैयार कर एक समिति गठित की गई.
गौरतलब है कि दिल्ली समेत राजस्थान, ओडिशा, मुंबई समेत अन्य बड़े शहरों में इस मॉडल पर बिजली की आपूर्ति की जा रही है. अब उसी मॉडल को झारखंड में भी अपनाने की कवायद हो रही है