रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय प्रभावी ढंग से किसानों को नियमित रूप से मौसम आधारित कृषि परामर्श सेवा दे रहा है. अनुसंधान के क्षेत्र में करीब सभी फसलों के उन्नत किस्मों, पशु–पक्षियों के नई नस्लों तथा प्रदेश के लिए लाभकारी तकनीकों का विकास किया गया है. जो प्रदेश की मिट्टी और जलवायु के अनुरूप है और इससे राज्य में अधिक खाद्यान उत्पादन को बढ़ावा मिला है. पशुपालन, मछली पालन, मधुमख्खी पालन, वानिकी, कृषि वानिकी और बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्रों में लाभकारी तकनीकों को ईजाद किया गया है. इससे राज्य के किसान खुशहाल हो रहे हैं.
कृषि एवं सम्बद्ध विषयों के प्रसार में विश्वविद्यालय अग्रणी भूमिका निभा है. आईसीएआर की आठ वर्षीय समीक्षा दल ने प्रसार शिक्षा के कार्यक्रमों की सराहना की है. आईसीएआर की ‘फार्मर फर्स्ट प्रोग्राम’ में किसानों की भागीदारी से कृषि आय में इजाफा को बल मिला है. 5.33 करोड़ लागत की आईसीएआर – क्षमता प्रसार परियोजना में 10 आदिवासी बहुल जिलों में मधुमख्खी, सूकर एवं बकरी पालन कार्यक्रमों से आजीविका और रोजगार सृजन को प्रोत्साहन मिला है.
मशरूम उत्पादन, फसल उत्पादों का प्रोसेसिंग एवं मूल्यवर्धन, गृह वाटिका, सूकर पालन, मुर्गी पालन, बकरी पालन एवं मधुमख्खी पालन विषयों के प्रशिक्षणों से आजीविका एवं पोषण सुरक्षा, रोजगार सृजन तथा ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा दिया गया.
कोरोना काल में रिलायंस फाउंडेशन के सहयोग से कृषि विज्ञान केन्द्रों द्वारा प्रतिदिन 40 किसानों को ऑनलाइन ट्रेनिंग तथा कॉमन सर्विस सेंटर के तहत प्रज्ञा केन्द्रों के माध्यम से ग्राम एवं पंचायत स्तर पर किसानों को ट्रेनिंग एवं समस्या समाधान किया जा रहा है.
कृषि विज्ञान केन्द्रों के ट्रेनिंग, एफएलडी, ओएफटी, सीएफएलडी, सीड विलेज, पल्स सीड हब, बीज एवं पौध सामग्री उत्पादन, साइल हेल्थ, मौसम आधारित निकरा परियोजना आदि कार्यक्रमों से जिलों में कृषि विकास को गति मिली है.
कोरोना काल में विभिन्न एजेंसियों से प्रसार परियोजनाओं की स्वीकृति एक उल्लेखनीय उपलब्धि हैं. केवीके माध्यम से 16 जिलों में अनूसूचित जाति के किसानों के जीविकोपार्जन में सुधार हेतु आईसीएआर ने 4 करोड़ लागत की योजना, भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग से 4 आकांक्षी (पिछड़े) जिलों के किसानों के विकास के लिए 1.92 करोड़ लागत की योजना तथा आईसीएआर – भारतीय चारागाह एवं चारागाह अनुसंधान संस्थान, झाँसी से अनूसूचित जाति किसानों द्वारा 5 जिलों में चारा फसलों के विकास की 20.57 लाख लागत की योजना स्वीकृत मिली है.