रांचीः झारखंड के डीजीपी एमवी राव को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें झारखंड के डीजीपी एमवी राव की नियुक्ति को चुनौती दी गई थी.
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह मामला सेवा से जुड़ा है. इसे जनहित याचिका नहीं माना जा सकता. प्रह्लाद सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर डीजीपी की नियुक्ति को चुनौती दी थी.
इस मामले में झारखंड सरकार की ओर से फली एस नरीमन और महाधिवक्ता राजीव रंजन ने बहस की. वहीं प्रह्लाद सिंह की तरफ से सीनियर अधिवक्ता वैंकट रमण उपस्थित हुए थे.
बताते चलें कि 13 मार्च को राज्य सरकार ने पूर्व डीजीपी कमल नयन चौबे का तबादला कर दिया था. इसके बाद एमवी राव को डीजीपी बनाया गया था.
झारखंड सरकार ने भी यूपीएससी को दिया था जवाब
झारखंड सरकार ने डीजीपी के मुद्दे पर यूपीएससी को दो टूक जवाब भी दिया. यूपीएससी द्वारा इस मुद्दे पर पूछे गए स्पष्टीकरण के जवाब में कहा है कि यूपीएससी अपने दायरे से बाहर नहीं जाए. राज्य का डीजीपी कौन होगा यह फैसला करना राज्य सरकार का काम है.
यूपीएससी की जिम्मेवारी राज्य सरकार द्वारा भेजे गए नामों को मंजूरी देने या उचित आधार बताकर नामंजूर करने की ही है. सरकार ने यह भी कहा था कि विधि व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है. कौन डीजीपी होगा या कौन नहीं होगा सरकार तय करेगी.
राज्य सरकार ने यूपीएससी को 8 पन्नों का जवाब भी दिया है. इसमें विस्तार से हर बिंदु को स्पष्ट किया गया है. साथ ही डीजीपी के लिए भेजे गए पैनल को स्वीकृत करने का अनुरोध किया गया है.