BNN DESK: आज देशभर में गणेश चतुर्थी का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है. आज के दिन भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को दोपहर में भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था. इस वजह से हर वर्ष आज के दिन गणेश जन्मोत्सव मनाया जाता है.
महाराष्ट्र में आज से 10 दिनों तक गणपति बप्पा की धूम रहती है. आज के दिन लोग अपने घरों में गणपति बप्पा को हर्षोल्लास के साथ स्थापित करते हैं और 10 दिनों तक पूजा करते हैं तथा गणेश चतुर्दशी को उनका विसर्जन करके विदाई करते हैं.
इन 10 दिनों में सभी गणेश मंदिरों में विधिवत पूजा होती है. प्रतिदिन गणेश जी आरती की जाती है. गणेश जन्मोत्सव के अवसर पर भगवान गणेश आपके और आपके प्रियजनों के लिए भी मंगलकारी एवं कल्याणकारी हैं.
गणेश चतुर्थी के अवसर पर आप अपने दोस्तों, परिजनों, सगे-संबंधियों को शुभकामना संदेश और बधाई संदेश भेजकर उनके दिन को शानदार बनाएं. उन पर भी गणेश जी की कृपा हो और उनके जीवन के सभी विघ्न और बाधा हमेशा के दूर हो जाए.
गणेश चतुर्थी 2020 शुभ मुहूर्त और योग
गणेश चतुर्थी पर प्रतिमा स्थापना मुहूर्त
- पहला शुभ मुहूर्त- सुबह 7 बजकर 30 मिनट से 9 बजे तक.
- दूसरा शुभ मुहूर्त- दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से शाम 4 बजकर 30 मिनट तक.
- तीसरा शुभ मुहुर्त- शाम 6 से 7 बजकर 30 मिनट तक.
गणेश चतुर्थी योग-
इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर विशेष योग बन रहा है. 22 अगस्त को गणेश चतुर्थी पर सूर्य सिंह राशि में मौजूद रहेगा और मंगल मेष राशि में. ये दोनों ग्रह स्वयं की राशि में होंगे. गणेश चतुर्थी पर सूर्य और मंगल का ऐसा योग दोबारा 126 साल बाद बन रहा है.
गणेश चतुर्थी पूजन सामग्री
- गणेश जी की प्रतिमा 2. चौकी 3. लाल आसन 4. जल कलश 5. पंचामृत 6 रोली 6. मोली 7. लाल चन्दन 8. जनेऊ 9. गंगाजल 10. सिन्दूर 11. फूल और माला 12. दूर्वा घास 13. इत्र 14. मोदक या लडडू 15. नारियल और गुड़ 16. पान और सुपारी 17. लौंग और इलायची 18. फल 19 पंचमेवा 20 घी का दीपक 21.धूप और अगरबत्ती 22. कपूर
सभी देवों में अग्रपूज्य माने गए भगवान गणेश का जन्मदिन को गणेशोत्सव को रूप में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. श्रावण में बहुला गणेश जी तथा भादौं में ‘सिद्धिविनायक’ के रूप में इनकी पूजा की जाती है. यही सिद्धि विनायक चतुर्थी 22 अगस्त को है. इस दिन भगवान गणेश की मिट्टी से बनी मूर्ति की पूजा की जाती है.
भारतवर्ष के अलग-अलग राज्यों में भक्तगण अलग-अलग विधि से पूजन करते हैं. यदि आपके पास मूर्ति खरीदने के पैसे ना हों या फिर इस समय कोरोना महामारी के चलते बाजार जाना संभव न हो तो आप किसी नदी, तीर्थ अथवा तालाब की मिट्टी लाकर उसमें दूध, दही, घी, शहद और शक्कर मिलाकर स्वयं मूर्ति का निर्माण कर सकते हैं और सोलह उपचार से इनकी आराधना करके इच्छित फल प्राप्त कर सकते हैं.
अगर बाजार से मूर्ति खरीद कर ला रहे हैं तो सर्वप्रथम मूर्ति को ढककर उसके नीचे सात प्रकार के अनाज रखें. अपने घर के उत्तर भाग, पूर्व भाग, अथवा पूर्वोत्तर भाग में गणेश जी की प्रतिमा रखें.
पूजा के लिए स्नान ध्यान से निवृत्त होकर यथा संभव पूजन सामग्री लेकर शुद्ध आसन पर बैठें. यदि पूजा सामग्री ना हो तो केवल दूर्वा, शमी पत्र, लड्डू, हल्दी, पुष्प और अक्षत से ही पूजन करके गणेश जी को प्रसन्न किया जा सकता है, इसलिए पूजा सामग्री ना होने पर अपने मन में ग्लानि न करें.
गणेशजी से जुड़े तथ्य
- चाहे छोटा से छोटा या बड़े से बड़ा शुभ कार्य हो, बिना गणेशजी के नाम का स्मरण करें कोई भी मांगलिक कार्य आरंभ नहीं किया जाता. भगवान गणेश को सभी देवों में सबसे पहले पूजे जाने वाले देवता हैं. कहते हैं ना चलो ‘श्री गणेश’करते हैं.
- गणेशजी की आराधना और उनके मंत्रों का उल्लेख वैदिक काल से ही चला आ रहा है. शास्त्रों में गणेश जी को वैदिक देवता माना गया है. वेदों में गणेश वंदना और मंत्रों का विवरण मिलता है.
- हिंदू धर्म में सभी पांच देवों यानी पंचदेवों में गणेश जी का नाम शामिल है. ये पांच देवता इस प्रकार हैं-शिवजी, विष्णुजी, दुर्गाजी, सूर्यदेव और गणेश जी.
- भगवान गणेश का नाम गणेश जो शब्दों से मिलकर बना है. गण और ईश. गण का अर्थ होता है समूह और ईश का अर्थ होता है स्वामी. इसलिए सभी गणों के स्वामी होने के कारण इन्हें गणेश कहा गया है.
- सभी देवताओं और गणों में गणेश जी को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है. गणेश का वाहन चूहा है, इनकी दो पत्नियां रिद्वि और सिद्वि हैं. इनका सर्वप्रिय भोग मोदक यानी लड्डू है. माता पिता भगवान शंकर व पार्वती. भाई श्री कार्तिकेय एवं बहन अशोक सुन्दरी हैं. शुभ और लाभ गणेश जी के पुत्र माने गए हैं.
- गणेश जी के अनेक नाम हैं लेकिन 12 नाम प्रमुख है- समुख, एकदंत, कपिल, गजकर्णक, लंबोदर, विकट, विघ्न-नाशक , विनायक, धूमकेतु, गणाध्यक्ष, भालचंद्र, गजानन. विद्यारम्भ और विवाह के पूजन के समय इन नामों से गणपति की आराधना का विधान हैं.
- गणेश जी बुद्धि और विद्या के देवता हैं. गणेश जी ने महाभारत महाकाव्य का लेखन भी किया है. वेदव्यास ने महाभारत की रचना भगवान गणेश की सहायता से की थी. वेदव्यास जी बोलते गए और भगवान गणेश लिखते गए.
- ‘ॐ’शब्द साक्षात गणेश जी का स्वरुप है. जिस तरह से किसी भी शुभ कार्य करने में गणेश जी नाम लिया जाता है उसी प्रकार ‘ॐ’लगाने से या लिखना से हर तरह का मंगलकार्य शुभ संपन्न होता है.
- भगवान गणेश का एक नाम एकदंत भी है दरअसल क्रोध में परशुराम जी ने अपने फरसे से उनका एक दाँत काट डाला. इसलिए गणेश जी एकदंत के नाम से प्रसिद्ध हुए.
- गणेशजी की पूजा में कभी भी तुलसी के पत्ते का प्रयोग नहीं करना चाहिए. वहीं दूर्वा घास भगवान गणेश को बहुत ही प्रिय होती है. तुलसी के पत्ते के अलावा सभी तरह फूल भगवान गणेश को चढ़ाया जा सकता है.
- प्रत्येक महीने के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी गणेश चतुर्थी और शुक्लपक्ष की चतुर्थी को वैनायकी गणेश चतुर्थी मनाई जाती है.
- भादपद्र महीने में महाराष्ट्र में इस त्योहार को गणेशोत्सव के रूप बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. यह दस दिनों तक चलता है और अंनत चतुर्दशी के दिन विसर्जन किया जाता है.