रांची : आॅटोमोबाइल सेक्टर में जारी मंदी का असर झारखंड में भी पड़ रहा है। मंदी के कारण झारखंड में आॅटोमोबाइल सेक्टर के छोटे-बड़े 7000 उद्योग बंद हो गए। इसमें आदित्यपुर(जमशेदपुर) सहित अन्य जिलों में अधिकांश मोटर पार्ट्स बनाने वाले उद्योग शामिल हैं।
आॅटोमोबाइस पार्ट्स इंडस्ट्रीज व वाहनों के शोरुम के बंद होने से लगभग दो लाख 80 हजार लोगों का रोजगार छिन गया है। झारखंड में टू व्हीलर और फोर व्हीलर के 200 शो रूम भी बंद हो गए हैं। आॅल इंडिया आॅटोमोबाइल पार्ट्स मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरडी सिंह ने दावा किया है कि आॅटोपाट्स के सेकेंडरी सेल के लिए खरीदार नहीं हैं।
हर महीने जीएसटी में 333 करोड़ का नुकसान :
झारखंड में आॅटोमोबाइल सेक्टर के उद्योग व शो रूम के बंद होने से राज्य सरकार को हर महीने 333 करोड़ रुपये जीएसटी का नुकसान हो रहा है। आॅटो पार्ट्स में जीएसटी 28 फीसदी है। इसे लक्जीरियस आइटम की श्रेणी में रखा गया है।
आॅटोमोबाइल सेक्टर में मंदी के कारण जीएसटी में 20 फीसदी की गिरावट आ गई है। धनबाद में आॅटोमोबाइल सेक्टर की बड़ी और नामी गिरामी फैक्ट्री हिन्दुस्तान मैनेबल आॅटोमोबाइल लिमिटेड भी बंद हो गई है। फिलहाल आॅटोमोबाइल सेक्टर को छोड़कर वर्तमान में झारखंड में 7000 लघु उद्योग, 45 बड़े उद्योग और 300 मध्यम उद्योग निबंधित हैं।
लचर बिजली ने भी उद्योगों की तोड़ी कमर :
प्रदेश में लचर बिजली व्यवस्था ने भी उद्योगों की कमर तोड़ दी। आॅटोमोबाइल सेक्टर के अलावे अन्य उद्योगों पर भी इसका व्यापक असर पड़ा है। खुद बिजली वितरण निगम के आंकड़े उद्योगों के बंद होने के हालात को बयां कर रहे हैं।
पिछले तीन वित्तीय वर्ष में उद्योगों को लगातार कम बिजली दी गयी। जिसके कारण झारखंड से उद्योगों का पलायन हो गया। वितरण निगम के आंकड़ों के अनुसार उद्योगों को साल दर साल बिजली की कमी की गई।
वित्तीय वर्ष 2016-17 में उद्योगों को 30.5 फीसदी बिजली दी गई। वित्तीय वर्ष 2017-18 में उद्योगों को 27.8 फीसदी बिजली दी गई। वहीं 2018-19 में उद्योगों को सिर्फ 25 फीसदी ही बिजली दी गई। जबकि 60 फीसदी बिजली उद्योग और 40 फीसदी बिजली घरेलू उपभोक्ताओं को दी जानी है।
कब और कैसे मिली बिजली :
वित्तीय वर्ष 2016-17: कुल लोड 8721 मिलियन यूनिट: उद्योग को दिया गया: 2664 मिलियन यूनिट: कुल 30.5 फीसदी उद्योगों को बिजली मिली।
वित्तीय वर्ष 2017-19: कुल लोड 9222.77 मिलियन यूनिट: उद्योगों को दिया गया: 2561.72 मिलियन यूनिट: उद्योगों को 27.8 फीसदी बिजली मिली।
वित्तीय वर्ष 2018-19: कुल लोड 10106.36 मिलियन यूनिट: उद्योगों को दिया गया:2606 मिलियन यूनिट: कुल 25 फीसदी बिजली उद्योगों को मिली।
ये भी है चौंकाने वाला आंकड़ा
पिछले चार साल में उद्योगों को बिजली कम मिलने के कारण 355 लाख लीटर डीजल की खपत हुई।
वर्ष 2015 में लगभग 6.90 लाख लीटर प्रति माह की खपत हुई, इस हिसाब से सालभर में 82.80 लाख लीटर की खपत हुई।
वर्ष 2016 में 7.00 लाख लीटर की खपत हुई। इस हिसाब से सालभर में 84 लाख लीटर डीजल की खपत हुई।
2017 में महीने में 7.75 लाख लीटर और 2018 में हर महीने में लगभग आठ लाख लीटर डीजल की खपत हुई।
क्या कहते हैं एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरडी सिंह :
आॅल इंडिया आॅटोमोबाइल पार्ट्स मैन्युफैक्चरर एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरडी सिंह के अनुसार झारखंड में आॅटोमोबाइल सेक्टर के जुड़े 7000 छोटे-बड़े उद्योग बंद हो गए हैं। जीएसटी में भी आज की तारीख में 20 फीसदी की गिरावट आ गई है। आॅटोपार्ट्स को लक्जीरियस आइटम में शामिल कर 28 फीसदी जीएसटी लिया जा रहा है। अब भी धनबाद- बोकारो में कई उद्योग बंदी के कगार पर हैं। उद्योग बंद होन से सरकार को जीएसटी का नुकसान हो रहा है। बिजली की लचर व्यवस्था भी उद्योगों के बंदी का कारण बन गई है।