रांची: प्रधानमंत्री के आह्वान पर देश का हर नागरिक आज आत्मनिर्भर भारत और लोकल प्रोडक्ट को बढ़ाने में अपने स्तर से जुड़ गया है. रांची की आशा सिन्हा जूट की सामग्रियां बना कर लोकल प्रोडक्ट को बढ़ावा देने के साथ आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं.
रांची के डोरंडा की रहने वाली आशा सिन्हा ने हुनर के बल पर जूट से बने बैग, पर्स, फाइल और पेंटिंग करने में महारत हासिल की है. आशा सिन्हा का काम सही मायने में आत्मनिर्भरता की मिसाल है.
खास बात यह है कि सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में अपनी एक पहचान बना चुकी आशा अब दूसरी महिलाओं के लिए भी मददगार साबित हो रही हैं. अपने ही घर पर अन्य महिलाओं को यह रोजगार देने वाली बन गई हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए आत्मनिर्भर भारत के संदेश को आशा सिन्हा प्रेरणा स्रोत मानती है. इनका कहना है कि महिलाएं यदि स्वावलंबी बनती हैं तो सामाजिक नजरिए में भी काफी बदलाव आता है.
इस काम से जुड़ने के बाद डिम्पल कुमारी और गीता देवी समेत कुछ अन्य महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है. घर की छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए अब इन्हें दूसरों की ओर नहीं देखना पड़ता है.
हौसला और हुनर के बल देश की आधी आबादी आत्मनिर्भरता की राह पर चल पड़ी हैं. महिलाओं के ऐसे प्रयास को हर कोई सलाम कर रहा है.