रंजीत कुमार,
सीतामढ़ी: प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक तक के नियोजित शिक्षकों के लिए जारी सेवाशर्त पर शिक्षको का आक्रोश दिन प्रतिदिन तेज होते जा रहा है.सीतामढ़ी जिले सहित बिहार के शिक्षक स्वयं को सेवाशर्त में उपेक्षित महसूस कर रहे है और सरकार पर यह आरोप मढ़ रहे है कि सरकार ने उनकी उपेक्षा की है तथा बिहार के प्रतिभा का अपमान किया है. टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजीत शिक्षक संघ गोपगुट द्वारा राज्यव्यापी विरोध सप्ताह के अंतिम दिन लाखो शिक्षको ने अपने घर पर प्रोटेस्ट विद फैमली कार्यक्रम आयोजित कर अपना विरोध प्रकट किया तथा व्हाट्सएप्प फेसबुक ट्विटर इत्यादि के माध्यम से बॉयकॉट एनडीए बिहार असेंबली इलेक्शन दो हजार बीस हैशटैग के साथ ऑनलाइन सपरिवार विरोध भी दर्ज किया.
इस मौके पर टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण नियोजित शिक्षक संघ गोपगुट के जिला अध्यक्ष विकाश कुमार सिंह ने बताया कि सरकार शिक्षक और समाज को लाख बरगलाने की कोशिश कर ले लेकिन बिहार के शिक्षक और आम अवाम समझ चुकी है कि सरकार चुनावी लॉलीपॉप फेंककर अपना उल्लू सीधा करना चाहती है. शिक्षक अब झांसे में आने वाले नही है. पिछले पांच साल में सरकार को कभी भी शिक्षको की याद नही आई लेकिन अब चुकी चुनाव नजदीक है तो वह शिक्षको को अपने मकड़जाल में फसाना चाहती है. उसकी मंशा कभी साफ नही रही है और न ही वह कभी शिक्षकों के प्रति संवेदनशील रही है. सरकार के दोरंगी नीति के कारण शिक्षक सपरिवार आज विरोध प्रदर्शन को बाध्य है लेकिन उनके मांगों को सुनने के लिए सरकार आज भी तैयार नही है. आगामी विधानसभा चुनाव में शिक्षक इस सरकार से अपने अपमान का बदला सरकार को बदल कर लेंगे.तथा आगामी पांच सितंबर को अपमान का बदला लेने का बिहार के लाखों शिक्षक बदला लो बदल डालो के साथ संकल्प दिवस मनाएंगे.
संघ के जिला महासचिव रामलाल साह, कोषाध्क्ष रितेश रंजन, कार्यालय सचिव मनीष झा, सचिव अरविंद कुमार, जिला प्रवक्ता यशराज और जिला मीडिया प्रभारी अभिषेक वर्मा ने कहा कि नई सेवा शर्त हमें कतई मंजूर नहीं है. हमारी मांग है कि नियमित शिक्षकों की भांति पूर्ण वेतन और हू बहू सेवा शर्त के साथ राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाय. टीईटी एसटीइटी शिक्षकों के लिए अलग केडर का निर्माण किया जाए. नेताओं ने कहा कि यह कितनी बड़ी विडंबना है कि राष्ट्रीय स्तर पर तय मानकों को पूरा करने वाले लाखों टीईटी एसटीईटी उत्तीर्ण शिक्षक आज भी अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत है. उक्त शिक्षको को अधिकार से वंचित रखकर बिहार सरकार प्रतिभा का खुलेआम मजाक उड़ा रही है. बिहार के शिक्षा व्यवस्था में मिल के पत्थर के रूप में आये इन शिक्षको के साथ अनुचित व्यवहार करके सरकार बिहार के शिक्षा व्यवस्था को हाशिये पर धकेलना चाहती है जिसका जबाब बिहार के छात्र,शिक्षक और नौजवान देंगे.