रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव ने प्रकृति की पूजा करमा पर्व की झारखंड वासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने कहा कि करमा महोत्सव में प्रकृति की पूजा कर आदिवासी समाज एक तरफ अच्छी फसल की कामना करते हैं तो दूसरी तरफ बहनें अपने भाइयों की सलामती के लिए भी प्रार्थना करती है.
डॉ उरांव ने कहा कि आदिवासियों का यह महान पर्व पूरे राज्य में विधि-विधान और निष्ठा के साथ मनाया जाता है, झारखंड के आदिवासी ढोल मांदर की थाप पर झूमते गाते हैं, यह दिन इनके लिए प्रकृति की उपासना का दिन होता है सभी लोग उल्लास से भरे होते हैं, परंपरा के मुताबिक खेतों में बोई गई फसल बर्बाद न हो इसलिए प्रकृति की पूजा की जाती है.
प्रदेश अध्यक्ष ने आदिवासी समाज से आग्रह किया है कि कोरोना वायरस के फैलाव को देखते हुए सामाजिक दूरी का ध्यान रखकर, मास्क लगाकर घरों में रहकर ही त्योहार मनाए, बहनें भाइयों की सलामती के लिए प्रार्थना करें, करुणा महामारी से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें साथ ही साथ अच्छे फसल के लिए भी पूजा करें. इस वर्ष का त्यौहार पहले की तरह उल्लासपूर्ण वातावरण में भले ही नहीं मनाया जाएगा लेकिन विश्वास और आस्था में कोई कमी नहीं है.
प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि भाई-बहन के पवित्र एवं अटूट रिश्ते का त्यौहार है करम. आदिवासियों का प्रमुख त्यौहार है करमा.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दुबे ने कहा कि करमा पर्व की राज्यवासियों एवं आदिवासी समाज को विशेष रूप से हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं. दुबे ने कहा कि कर्मा आदिवासी समाज का प्रचलित लोक पर्व है जिसे आदिवासी संस्कृति का प्रतीक माना जाता है.
कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता लाल किशोर नाथ शाहदेव ने कहा कि कर्मा का पर्व प्रकृति, सभ्यता और संस्कृति के प्रति आस्था और प्रेम का संदेश देता है. उन्होंने कहा आज के दिन आदिवासी बहनें अपने भाइयों के लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं, करम वृक्ष की दाल लेकर घर के आंगन या खेतों में गाड़ते हैं. पूरे देश दुनिया में झारखंड की संस्कृति मिशाल कायम करती है.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता डॉ राजेश गुप्ता ने कहा कि झारखंडी जनता प्रकृति को आधार मानकर पूजा करते हैं, पूजा समाप्त होने के बाद करम डाल को पूरे धार्मिक. रीति रिवाज से नाचते गाते तालाब, पोखर, नदी आदि में विसर्जित करते हैं.
डॉ गुप्ता ने कहा कि 2 दिनों तक चलने वाला करमा पर्व झारखंड में धूमधाम से मनाया जाता है, लाखों लोग इसमें शामिल होते हैं. लेकिन कोविड-19 की वजह से भीड़-भाड़ तो नहीं होंगे लेकिन श्रद्धाभक्ति विश्वास आशा में कोई कमी नहीं है