चेन्नई: मौत को करीब पा कर इंसान अपना सुद-बुद खो देता है पर एक मृतक ने अपने अंतिम दिनों में ऐसा फैसला लिया, जिससे दूसरे लोगों का नया जीवन मिल गया. एक 34 वर्षीय शख्स ने अपना दिल, गुर्दा, हाथ और त्वचा दान में देने का फैसला किया. इस फैसले का समर्थन उनकी पत्नी ने भी किया है. शख्स के फेफड़े और हाथ दान करने से मुंबई में गंभीर रूप से पीड़ित कोरोना संक्रमित मरीज और एक महिला को नया जीवन दान मिला है.
12 जनवरी 2014 के दिन घाटकोपर में ट्रेन दुर्घटना की वजह से एक महिला ने अपने हाथ खो दिए थे. इस महिला को एक शख्स ने अपने हाथ दान में दिए और हवाई रास्ते के माध्यम से वो हाथ मुंबई पहुंचाए गए और महिला के शरीर में ट्रांसप्लांट किए गए.
एक शख्स के मरने के बाद उसके अंगों को दान में देकर कई दूसरे लोगों को नया जीवन दान दिया गया. इस शख्स को चेन्नई के एक अस्पताल में मृत घोषित कर दिया था, जिसके बाद उसके अंगों को दान में दिया गया. अस्पताल के सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी.
शख्स की महिला की सहमति के बाद ही मृतक शख्स के अंग अलग-अलग अस्पतालों में दान में दिए गए. हालांकि चेन्नई के ग्लोबल अस्पताल ने शख्स के गुर्दे, दिल, फेफड़े, यकृत और त्वचा को अलग-अलग अस्पतालों में दान में दे दिया था.
शख्स के हाथों को मुंबई की मोनिका मोरे को दान में दिए गए, जो आर्टिफिशियल हाथों का इस्तेमाल कर रही थीं. अगर द्विपक्षीय सर्जरी सफल हो जाती है तो महिला को दोनों नए और असली हाथ मिल जाएंगे. इसके अलावा शख्स का दिल और फेफड़े एमजीएम हेल्थकेयर में रखे गए हैं.
एक 48 वर्षीय शख्स को फेफड़े ट्रांसप्लांट किए गए, ये शख्स दिल्ली के रहने वाले हैं और ये कोरोना का पहला मामला है जिसमें द्विपक्षीय फेफड़ों का ट्रांसप्लांट सफल हुआ है. एमजीएम अस्पताल में इस मरीज का इलाज चल रहा था.
अस्पताल का कहना है कि ये एशिया का पहला ऐसा मामला है, जहां कोविड-19 के मरीज के शरीर में फेफड़ों का ट्रांसप्लांट किया हो और वो सफल भी रहा हो. ये ट्रांसप्लांट 27 अगस्त को किया गया था, इलाज के बाद मरीज में ट्रांसप्लांट केयर में इलाज चल रहा है और वे स्वस्थ है.
कोरोना की वजह से मरीज के फेफड़े बुरी तरह से खराब हो गए थे. आठ जून को शख्स को कोरोना संक्रमण हुआ था और तब से इसका इलाज चल रहा था. अस्पताल का कहना है कि इस शख्स के फेफड़ों का कुछ ही हिस्सा काम कर रहा था. 20 जून को शख्स को वेंटिलेटर पर डाल दिया गया था.
20 जुलाई को मरीज को गाजियाबाद से एमजीएम अस्पताल रेफर किया गया, जहां उसके फेफड़ों का ट्रांसप्लांट किया गया. इसके अलावा मोनिका मोरे मुंबई के एक जूनियर कॉलेज में पढ़ाई कर रही थीं. मोनिका ने घाटकोपर में एक ट्रेन हादसे में अपने हाथ खो दिए थे.
साल 2014 के जुलाई के महीने में भाजपा के नेता किरीट सोमैया ने मोनिका को इलेक्ट्रॉनिक आर्टिफिशियल हाथ लगवाने में मदद की थी. अपने सामाजिक संगठन युवक प्रतिष्ठान के तहत भाजपा नेता ने मोनिका की मदद की. अपनी ग्रेजुएशन के दौरान मोनिका ने कुर्ला के एक अस्पताल में काम करना शुरू कर दिया था.
इसी के साथ मोनिका ने ग्लोबल अस्पताल में खुद को द्विपक्षीय हाथ ट्रांसप्लांट के लिए रजिस्टर कराया था, जिसके लिए किरीट सोमैया ने दावा किया था कि इसका खर्च युवक प्रतिष्ठान संगठन की ओर से किया जाएगा. 27 अगस्त को मोनिका मोरे का ट्रांसप्लांट सफल हुआ.
अस्पताल के प्रवक्ता ने दानकर्ता के परिवार का धन्यवाद किया. प्रवक्ता ने कहा कि यह कहना गलत नहीं होगा कि मुंबई और चेन्नई के ट्रैफिक पुलिस और एयरपोर्ट अथॉरिटीज की मदद से ही दान किए गए अंग का समय पर परिवहन सुनिश्चित हो सका.