नई दिल्ली: भारत में 1950 से ही धीरे-धीरे मानसून में होने वाली बारिश घट रही है. इस दौरान होने वाली वर्षा बहुत विषम रही, क्योंकि अधिकतर बारिश एक छोटी अवधि के लिए हुई. 2019 में हुए भारी बारिश 1901 के बाद हुई सबसे अधिक वर्षा थी. 2020 में हुए कुल मानसून वर्षा 1901 के बाद इस अवधि के दौरान हुई 11वीं सबसे अधिक है. हालांकि, जब दीर्घावधि के वर्षा के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाती है तो 2020 में हुई वर्षा एक अच्छा परिणाम दिखाती है.
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार, रविवार सुबह 8.30 बजे तक हुई देश में कुल वर्षा 771.1 एमएम हुई थी. 1901 से 1 जून-30 अगस्त के दौरान यह 11वीं उच्चतम मानसून वर्षा वाली अवधि रही.
यह 2020 से पहले से ही एक अच्छा परिणाम है. 30 अगस्त तक मानसून की वर्षा का दशांश औसत यह बताता है कि भारत में मानसून की कुल वर्षा में गिरावट दर्ज की गई है. 1 जून से 30 सितंबर तक की अवधि को भारत में मानसून सीजन के तौर पर जाना जाता है.
कुल वर्षा में हो रही गिरावट हमें एक अन्य ट्रेंड के बारे में बताता है. दरअसल, हमें पता चलता है कि मानसून सीजन के उन दिनों में गिरावट हो रही है, जिसमें सीजन की आधी बारिश रिकॉर्ड की जाती है. पिछले दशक में 122 दिनों के मानसून सीजन में औसतन 40.4 दिनों में 50 फीसदी बारिश रिकॉर्ड की गई.
वहीं, 75 फीसदी बारिश 70.6 दिनों में और 90 फीसदी बारिश 94.3 दिनों में रिकॉर्ड की गई. इस तरह लंबे अवधि के दौरान होने वाली बारिश में भी कमी देखी गई. इन आंकड़ों के पता चल रहा है कि औसतन बारिश का सीजन जल्द खत्म हो जा रहा है.
देश में क्षेत्रीय स्तर पर भी मानसून की बारिश की असमानता का पता चलता है. उदाहरण के लिए, दिल्ली में 2011-19 के दौरान औसतन 83 दिनों में मानसून की बारिश हुई. वहीं, कर्नाटक में केवल 30 दिनों में ही मानसून का सीजन खत्म हो गया.