झांसी: कर्ज वसूली के दबाव और सबके सामने वसूली के डर से तंग आकर युवा किसान को इसका खामियाजा नहीं भुगतना पड़ा और उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. लछौरा गुढ़ा शाहपुरा निवासी किसान लोकेंद्र सिंह (35) पुत्र चंद्रभान सिंह ने बीती रात घर के कमरे में फांसी लगा ली. सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर कार्यवाही शुरू कर दी.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 10 बीघा के काश्तकार ने 2006 में स्टेट बैंक ऑफ ग्राम ढावकर के एक ट्रैक्टर के लिए साढ़े तीन लाख रुपये का कर्ज लिया था. एक साल बाद 2007 में, ट्रैक्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. जिसमें वह चिंतित था क्योंकि उस पर चार लाख का दावा किया गया था.
मृतक ने चार बीघा जमीन बेची और 2 लाख रुपए जमा किए. इसके बाद, उसका नाम हटा दिया गया. जिस पर राजस्व विभाग द्वारा शेष राशि जमा करने के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा था.
किसी तरह, उसने वसूली बंद कर दी और उपज की उम्मीद से आने वाले धन से शेष राशि इकट्ठा करने के लिए रात खेत में बिताई. एक तरफ, वसूली के प्रक्षेपवक्र और दूसरी ओर क्षेत्र और प्रकृति के विश्वासघात ने मृतक लोकेंद्र की कमर तोड़ दी.
अंधे, बुजुर्ग मां का इलाज, पांच मासूम बच्चों की परवरिश की जरूरतों ने उन्हें मानसिक रूप से विस्थापित कर दिया. इस बीच, पत्नी कमलेश उसका एकमात्र सहारा बनी रही, जिसे मजबूत बनाए रखने के लिए, उसने किसी तरह घर का खर्च काटकर परिवार को घर वापस खींच लिया.
कुछ दिनों के लिए, लोकेंद्र के प्रशासनिक सुधार ने उसे अत्यधिक परेशान किया. अंत में लोकेंद्र मौत की जिंदगी की तलाश में रात में खुद को लिविंग रूम में लटका लेता है.