रांची: मेयर आशा लकड़ा शहर का विकास कार्य बाधित होने से काफी चिंतित हैं. उन्होंने कहा कि जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन की सरकार ने शहर के विकास कार्यों पर ब्रेक लगा दिया है.
राज्य सरकार ने निर्माण संबंधी कार्यो के लिए 30 जून तक संशोधित अनुसूचित दर निर्धारित करने का निर्देश दिया था. परंतु कोरोना काल में अधिकारियों की मनमानी के कारण अब तक संशोधित अनुसूचित दर का निर्धारण नहीं हुआ है.
नगर आयुक्त ने इस मामले को लेकर 25 मार्च, 27 मई व 17 जून को पत्राचार कर विभागीय अधिकारियों से मार्गदर्शन भी मांगा था. परंतु इस विषय पर अब तक कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिया गया.
नतीजन रांची नगर निगम क्षेत्र में सड़क व नाली निर्माण से संबंधित कई निविदाओं का निष्पादन नहीं हो पा रहा है. संशोधित अनुसूचित दर को लेकर राज्य सरकार की मंशा क्या है, यह समझ से परे है.
उन्होंने कहा कि एक ओर राज्य सरकार के इशारे पर विभागीय सचिव रांची नगर निगम के राजस्व संग्रह को प्रभावित कर चुके हैं, वहीं अब दूसरी ओर संशोधित अनुसूचित दर के निर्धारण में विलंब कर विभिन्न वार्डों में होने वाले सड़क व नाली निर्माण संबंधी कार्यो को भी प्रभावित करने पर तुले हैं.
विभागीय मंत्री और सचिव रांची नगर निगम की कार्य प्रणाली में हस्तक्षेप कर शहरी विकास में बाधक बन रहे हैं. रांची राजधानी है. राज्य के विकास का आईना है. कम से कम विभागीय मंत्री और विभागीय सचिव को इतना ध्यान तो अवश्य होना चाहिए कि वे रांची नगर निगम के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप कर राजधानी के विकास को बाधित कर रहे हैं.
मेयर ने कहा कि ट्रेजरी से संबंधित कार्यों पर पाबंदी लगाने से पुरानी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं. संशोधित अनुसूचित दर निर्धारित नहीं होने से पिछले कई महीनों से नई योजनाओं से संबंधित निविदाओं का निष्पादन नहीं हो पा रहा है.
संशोधित अनुसूचित दर के निर्धारण में विलंब होने से सिर्फ रांची नगर निगम क्षेत्र ही नहीं, पूरे राज्य में विकास कार्य बाधित हो रहे हैं. मैं राज्य सरकार से आग्रह करती हूं कि पूर्वाग्रह से ग्रसित न होकर आम जनता के हित मे सोचें. शहर की आम जनता उनसे उम्मीद लगाए बैठी है.
शहरी क्षेत्र के विभिन्न वार्डो में सड़क व नाली निर्माण संबंधी कार्य होंगे तो कई लोगों को रोजगार का अवसर प्राप्त होगा. कोरोना काल मे लोग आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. निर्माण संबंधी कार्य शुरू होने से कई लोगों के रोजी-रोटी का संकट का दूर होगा.
राज्य सरकार कम से कम इतना तो अवश्य स्पष्ट करें कि संशोधित अनुसूचित दर के निर्धारण में इतना विलंब क्यों हो रहा है. कहीं ऐसा न हो कि विभागीय अधिकारियों की आपसी वैमनस्यता के कारण आम लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर जाए.