नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के हवाला लेनदेन से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में दलाल नरेश जैन को गिरफ्तार किया है. बुधवार को अधिकारियों ने बताया कि 550 से अधिक मुखौटा कंपनियों के जरिए पिछले कुछ वर्षो के दौरान संदिग्ध लेनदेन किए गए.
अधिकारियों ने बताया कि जैन को मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार किया गया है. 554 मुखौटा कंपनियों, कम से कम 940 बैंक खातों और 1.07 लाख करोड़ रुपये से अधिक के लेनदेन को ईडी खंगाल रही है. इसे देश का सबसे बड़ा हवाला और मनी लांड्रिंग का मामला माना जा रहा है.
अधिकारियों ने बताया कि ईडी के रडार पर कुछ बड़े कॉर्पोरेट्स और एक बड़ी फॉरेन एक्सचेंज कंपनी भी है. जबकि, जैन के खिलाफ ईडी मनी लांड्रिंग के दो मामलों में जांच कर रही है. ये मामले 2018 में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज एफआइआर और 2009 में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा दर्ज की गई आपराधिक शिकायत पर आधारित हैं.
एनसीबी की शिकायत पर आधारित मनी लांड्रिंग मामले में ईडी ने 2009 में भी जैन को गिरफ्तार किया था. इस बार दिल्ली पुलिस वाले मामले पर आधारित दर्ज केस में उसकी गिरफ्तारी हुई है. ईडी की शिकायत पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने जैन के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया था.
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी दुबई, हांगकांग और सिंगापुर में कम से कम 337 बैंक खातों की भी जांच कर रही है. करीब 970 लाभार्थियों की भी पहचान की गई है, जिनके खातों में अभी तक 18 हजार करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए हैं. जैन के पास से कई फर्जी दस्तावेज, अंक पत्र, जन्म प्रमाणपत्र, पैन कार्ड और मतदाता पहचान पत्र बरामद किए गए हैं. इनके जरिए ही बैंकों में संदिग्ध खाते खोले गए और मुखौटा कंपनियां बनाई गईं.
एजेंसी के मुताबिक आरोपित फर्जी आयात-निर्यात के लिए नकली चालान के जरिए मनी लांड्रिंग का यह खेल कर रहे थे. अवैध कारोबार में जैन सभी का मुखिया था. दिल्ली निवासी कारोबारी जैन लंबे समय से ईडी की रडार पर था. साल 2016 में ईडी ने विदेशी मुद्रा कानून के उल्लंघन के मामले में उसे 12 सौ करोड़ रुपये का नोटिस भी थमाया था.