सुरूर रज़ा,
रांची: वर्ष 1918 में पहली बार रेडियो की आवाज सुनाई दी थी. रेडियो की चर्चा हो और अमीन सयानी का नाम ना आए तो बात अधूरी सी लगती है. अमीन सयानी ने रेडियो की पहचान भारत में नहीं बल्कि पूरे विश्व में स्थापित कर दी.
रेडियो का अविष्कार होने के बाद इसे मनोरंजन का एकमात्र स्रोत माना जाता था. विभिन प्रकार की डिजाइन वाले रेडियो हर किसी के घर की शोभा बढ़ाते थे.
एक दौर था जब घर बैठे लोगों को रेडियो के द्वारा देश और विदेश के समाचार मालूम हो जाते थे. क्रिकेट मैच इंग्लैंड में होता था, पर आंखों देखा हाल रेडियो के द्वारा लोगों को आसानी से मिल जाता था. खास तौर से किसानों के लिए एक रामबाण बनकर उभरा था यह रेडियो, क्योंकि कृषि से संबंधित सारी जानकारियां रेडियो के द्वारा प्रस्तुत की जाती थी.
वक्त के साथ चीजें में काफी बदलाव आया. रेडियो के भी विभिन्न प्रकार के मॉडल्स और डिजाइन आए. आज के दौर में एफएम रेडियो काफी पसंद किया जा रहा है. टीवी, कंप्यूटर और इंटरनेट की दुनिया में आज भी रेडियो की जगह कोई नहीं ले पाया. तकनीक के इस तूफान में भी रेडियो का दिया जल रहा है.
खलिहान से लेकर बाथरूम तक
खेतों की रखवाली के लिए बने मचानों में और नदी में चलने वाले नाव तक रेडियो ने अपनी छाप छोड़ी है. बाथरूम तक में लोग रेडियो का इस्तेमाल मनोरंजन के लिए करते आए हैं.
क्या कहते हैं लोग
लोगों का कहना है कि रेडियो की जगह कोई नहीं ले सकता. आज के दौर में एफएम रेडियो काफी डिमांड में है. मोबाइल में रेडियो की सुविधा आने के बाद इसे और पसंद किया जाने लगा है. इंटरनेट और कंप्यूटर के दौर में भी हम यह कह सकते हैं कि रेडियो ने अपनी बादशाहत अब तक कायम रखी है.