बीएयू ने एग्रोमेट एडवाइजरी बुलेटिन जारी किया
रांची: मौसम पूर्वानुमान में अगले दो- तीन दिनों तक कहीं- कहीं हल्की बूंदा-बांदी या छिटपुट वर्षा की संभावना को देखते हुए बीएयू की ग्रामीण कृषि मौसम सेवा ने एग्रोमेट एडवाइजरी बुलेटिन जारी किया है. किसानों को अगले दो दिनों तक विभिन्न कृषि कार्य जैसे निकाई-गुड़ाई, खेत की तैयारी, विभिन्न फसलों की बोआई, खड़ी फसल में यूरिया का भुरकाव, कीट एवं रोगों से फसल को बचाने के लिए दवा का छिड़काव/भुरकाव आदि कर साफ मौसम का लाभ उठाने की सलाह दी गई है.
जून में बोयी गयी मूंग एवं उरद की फसल के तैयार होने पर साफ मौसम देखते हुए कटाई पूरी करने तथा फसल काटने के बाद अविलंब खेत की तैयारी कर लोटनी (तोरिया) की खेती के लिए बीज, उर्वरक आदि का प्रबंध कर लें.
अगामी समय में बोयी गयी उरद की फसल भी तैयार होने वाली है. इसके लिए किसानों को सजग रहना होगा अन्यथा इसके दाने झड़कर खेत में ही गिरने लगेंगे और उपज में कमी होगा. मूंग या उरद फसल की कटाई के बाद लोटनी (तोरिया) की खेती की जा सकती है.
बीएयू के तेलहन फसल विशेषज्ञ डॉ सोहन राम बताते है कि झारखंड की जलवायु एवं मिट्टी तेलहनी फसल तोरिया की खेती हेतु काफी उपयुक्त है. इसकी खेती शुद्ध फसल के आलावा गेहू, मटर व चना आदि के साथ मिश्रित रूप में की जा सकती है. यह फसल 85 दिनों में पककर तैयार हो जाती है.
राज्य में अधिक उपज देने वाली अनुशंसित किस्मों पी. टी.- 203, टी -9 या पांचाली में से किसी एक किस्म का चुनाव किया जा सकता है. इसकी बुआई का उपयुक्त समय 20 सितंबर से 20 अक्टूबर है. एक एकड़ में बोआई के लिए 2 से 2.5 किलो ग्राम बीज की जरूरत होती है.
बीज को 8 घंटे तक भिंगोकर बुआई तथा बुआई से पहले बीज को कांर्बेन्डेजिम (बैविस्टीन) की 2 ग्राम प्रति किलो ग्राम बीज में उपचार किया जाना जरूरी है. एक एकड़ में 44 किलो ग्राम यूरिया, 66 किलो ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट एवं 16 किलो ग्राम म्युरिएट ऑफ पोटाश की आवश्यकता होती है.