रांची: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी खिलौनों के निर्माण को बढ़ावा देने के संदेश ने मूर्ति निर्माण से जुड़े कलाकारों को संबल प्रदान किया है. रांची में भी एक ऐसे मूर्तिकार हैं, जिनका मानना है कि वर्तमान समय में कलाकारों को बढ़ावा मिला है. साथ ही उनके द्वारा बनाए गए वस्तुओं की मांग में भी वृद्धि हुई है.
हुनर के बल पर आत्मनिर्भर होकर अपना घर संसार चलाने कि बात हो या फिर राज्य स्तरीय पहचान बनाने की, राजधानी रांची के राजेश प्रजापति ने दोनों ही परिस्थितियों में मिसाल कायम की है. मूर्ति निर्माण को स्वरोजगार का जरिया बना कर राजेश अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा देने में सक्षम हुए और उन्हें अपने पैरों पर खड़ा किया.
राजेश का कहना है कि एक दौर था जब यहां के बाजारों में विदेशी खिलौनों और मूर्तियों की भरमार थी. स्थानीय कलाकारों का हाल जानने वाला कोई नहीं था. खुशी इस बात की है कि वर्तमान में केंद्र में एक ऐसी सरकार है जिसे कलाकारों की चिंता है. राजेश कहते हैं की सरकार द्वारा विभिन्न स्तरों पर ऐसी पहल की जा रही है, जिसका लाभ उन जैसे हुनरमंद लोगों को मिल रहा है.
मूर्ति निर्माण से जुड़े राजेश को अपने घर परिवार का भरपूर सहयोग मिलता है. पत्नी सीता देवी और बच्चों को इस बात का गर्व है कि वे एक कलाकार के घर से जुड़े हैं. टेक्सटाइल डिजाइनर बन चुकी बड़ी बेटी कृति कुमारी कहती हैं कि वो भी झारखंड की कला को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगी.
राजेश मिट्टी, प्लास्टर ऑफ पेरिस और फाइबर से मूर्तियों का निर्माण करते हैं. इनके हाथों से बनी देवी देवताओं और महापुरूषों की मूर्तियां कई जगहों की शोभा बढ़ा रही हैं.