जम्मू: 31 अक्तूबर 2019 को शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद जम्मू-कश्मीर में निजी स्कूल दाखिला फीस नहीं ले सकते. यदि किसी स्कूल ने बच्चों से दाखिला फीस ली है तो उसे फौरन लौटाना होगा. फीस न लौटाने पर स्कूल की मान्यता रद्द कर दी जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए प्रदेश सरकार ने फीस फिक्सेशन कमेटी की सिफारिश पर आदेश जारी किया है. निजी स्कूलों में बच्चे के दाखिले की स्क्रीनिंग पर भी रोक होगी.
नियमों को तोड़ने वाले स्कूल पर अधिनियम की धारा 13 के तहत 25 से 50 हजार रुपये तक जुर्माना होगा. स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. असगर हसन सामून ने शुक्रवार को यह आदेश जारी किया.
आदेश में कहा गया है कि 28 जनवरी 2019 को फीस फिक्सेशन कमेटी को निजी स्कूलों में फीस ढांचे संबंधी मामले संचालित करने के अधिकार दिए गए. कमेटी के अनुसार निजी स्कूल केवल ट्यूशन फीस, वार्षिक फीस, परिवहन फीस, स्वैच्छिक विशेष कारण फीस समेत वही शुल्क ले सकते हैं, जिन्हें कमेटी की ओर से स्वीकृति दी गई हो, लेकिन दाखिला व अन्य कोई भी फीस नहीं ली जा सकती.
कमेटी ने 14 सितंबर 2020 को सरकार से अनुरोध किया कि वे निजी स्कूलों को दाखिला फीस नहीं लेने के निर्देश जारी करे. इसी सिफारिश पर सरकार ने यह आदेश जारी किया है.
एक्ट की धारा 13 में हैं ये प्रावधान
- स्कूल में दाखिले पर कैपिटेशन फीस नहीं ली सकती. दाखिला देने के लिए बच्चों की स्क्रीनिंग भी नहीं की जा सकती.
- कैपिटेशन फीस लेने वाले स्कूल पर वसूली गई फीस से दस गुना तक जुर्माने लगेगा.
- बच्चों को स्क्रीनिंग के बाद दाखिला देने के मामले में पहले उल्लंघन पर 25 हजार व इसके बाद हर उल्लंघन पर 50 हजार रुपये जुर्माना.