मुम्बई: कोरोना महामारी के बीच धीरे धीरे लोगों में से इस वायरस का डर निकल रहा है और लोग अपने काम पर भी लौटने लगे हैं. लेकिन, जी5 ने इन सबमें अव्वल नंबर रिकॉर्ड बनाय है, इस महामारी के बीच शूट की गई पहली फिल्म को रिलीज भी कर देने का. ये फिल्म है ‘लंदन कॉन्फीडेंशियल’. और, जो मौका ‘मिसेज सीरियल किलर’ में जैकलीन फर्नांडीज चूक गईं, डिजिटल के उसी आकाश पर मौनी राय ने एक चमकता सितारा बनकर अपनी हाजिरी दर्ज करा दी है. टीवी से फिल्म स्क्रीन औऱ वहां से ओटीटी तक पहुंचने की मौनी की ये यात्रा प्रेरक है और ‘लंदन कॉन्फीडेंशियल’ को देखने की एक बड़ी वजह भी.
ये सच है कि मौनी रॉय की मौजूदगी ही किसी फीचर फिल्म, सीरीज या डिजिटल फिल्म के लिए लोगों में उत्सुकता जगाने के लिए काफी है. लेकिन, कंवल सेठी ने जो अपनी फिल्म का ताना बाना उनके चारों तरफ बुना है, उसमें उनके एक खुफिया एजेंट होने के बावजूद जेम्स बॉन्ड की फिल्मों जैसी मुक्त आकांक्षाओं और वर्जनाओं को तोड़ने वाली महिला के रूप में उन्हें पेश नहीं किया गया है. और, वह भी तब जबकि कहानी लंदन में आगे बढ़ रही है. मौनी रॉय फिल्म की यूएसपी हैं और उनके लिए ये फिल्म देखने आने वालों को फिल्म के निर्देशक अपनी 97 मिनट की फिल्म से निराश नहीं करते.
फिल्म ‘लंदन कॉन्फीडेंशियल’ एक ऐसे वैश्विक कार्यक्रम की तरफ बढ़ती कहानी है जिसमें समय कम है और खुलासे करने के लक्ष्य ज्यादा. ये लक्ष्य उमा के लिए है जिसे ये पता लगाना है कि आखिर हिंदुस्तानी एजेंट को किसने मारा, और उसने जो पेटिंग छोड़ी, उसका राज क्या है? कौन है जो हिंदुस्तानी खुफिया एजेंसी की पल पल की खबर लीक कर रहा है. और, ये सारा गड़बड़झाला शुरू होता है उस सूचना से जिसके मुताबिक चीन ने कोरोना के बाद एक और नया खतरनाक वायरस बना लिया है और उसे सीमावर्ती इलाकों में लीक करने की योजना भी बन चुकी है। भारतीय एजेंटों को चीन की इसी कोशिशों का पर्दाफाश करना है, वह भी बिना ज्यादा शोर शराबे के और बिना ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों को भनक लगे.
निर्देशक कंवल सेठी की फिल्म ‘लंदन कॉन्फीडेंशियल’ की पहली जीत तो इसकी कास्टिंग ही है. मौनी रॉय से लेकर पूरब कोहली और प्रवेश राणा तक सब अपने अपने किरदार में बिल्कुल फिट बैठते हैं. मौनी रॉय के किरदारों की जो दिक्कतें दर्शकों ने उनकी फिल्म ‘गोल्ड’ या ‘मेड इन चाइना’ में देखीं, वे यहां उनके किरदार की मजबूती बन जाती हैं. अर्जुन के किरदार में पूरब कोहली की कोशिश भी हमेशा चिड़िया की आंख पर ही निशाना लगाने की रहती है और वह इसमें कामयाब भी होते दिखते हैं. प्रवेश राणा को लंबे अरसे बाद परदे पर देखना सुखद रहा. वह प्रतिभाशाली कलाकार हैं और फिल्म निर्देशकों को उनसे लगातार काम लेना चाहिए, उनकी प्रतिभा को अभी लेशमात्र ही उपयोग सिनेमा में हो सका है. फिल्म में सबसे चौंकाने वाली मौजूदगी है भारतीय राजदूत के रूप में कुलराज रंधावा की. उनकी मौजूदगी फिल्म को एक धरातल देती है और उनकी वापसी को उन्होंने खुद दमदार बनाया है
‘लंदन कॉन्फीडेंशियल’ का प्रचार, प्रसार और इसके ट्रेलर से आपको झलक यही मिलती है कि ये एक स्पाई थ्रिलर फिल्म है, लेकिन जैसे जेम्स बॉन्ड सीरीज की पिछली कुछ फिल्मों से उसके परिवार और उसकी निजी जिंदगी की परेशानियों को भी कहानी का आधार बनाया गया है, वैसे ही ‘लंदन कॉन्फीडेंशियल’ में हर एजेंट की अपनी अपनी दिक्कतें हैं, अपनी अपनी पारिवारिक और निजी समस्याएं हैं. फिल्म का ये पहलू भी कम रोचक नहीं है और यही आपको अंत तक कहानी से बांधे रखता है. नेटफ्लिक्ल पर रिलीज हुई ‘डॉली किट्टी और वो चमकते सितारे’ के मुकाबले ‘लंदन कॉन्फीडेंशियल’ बेहतर फिल्म है, और इस वीकएंड की राइट च्वॉइस भी.