रांची: किसानों द्वारा आयोजित 25 सितंबर के देशव्यापी संयुक्त विरोध कार्रवाईयों को ट्रेड यूनियनों ने सर्मथन दिया. विनाशकारी किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ पूरे देश में एकजुटता कार्रवाई करेंगे.
ट्रेड यूनियनों और विभिन्न उधोगवारश्रमिक फेडरेशनो के संयुक्त मंच ने किसान और खेत मजदूरों के संयुक्त मंच अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर 25 सितंबर को आयोजित देशव्यापी विरोध दिवस के साथ एकजुटता कार्यक्रम का ऐलान किया है.
यह विरोध कार्रवाई किसानों से संबंधित जुन में जारी अध्यादेश को संसद में विना चर्चा कराए और विना मत विभाजन के जबर्दस्ती पारित कराए जाने के खिलाफ किया जा रहा है.
कृषि राज्य का विषय है और अपने कॉर्पोरेट आकाओं को खुश करने के लिए भाजपा की सरकार ने सभी संसदीय परंपराओं को ताक पर रखकर जिस प्रकार इसे पारित कराया है वह घोर निंदनीय है.
सरकार की यह अलोकतांत्रिक हरकत देश के संघीय ढांचे को भी कमजोर करेगा. केंद्र सरकार का यह जन विरोधी व किसान विरोधी फैसला हमारी कृषि उत्पादन -आधारित अर्थ व्यवस्था में कार्पोरेट परस्त परिवर्तन करने के साथ-साथ कृषि उपज के व्यापार को बड़े जमींदारों व कॉर्पोरेट गठबंधन के पक्ष में कर देगा और बहुराष्ट्रीय तथा देशी बड़ी ट्रेड कंपनियां जैसे अडानी, विलमर, रिलायंस, वालमार्ट, बिरला और आईटीसी के लिए चांदी हो जायेगी.
आवश्यक वस्तु अधिनियम में बदलाव के चलते जमाखोरी और कालाबाजारी बढ़ जायेगी. इसका सबसे बुरा प्रभाव किसानों और आम जनता पर पड़ेगा. इसलिए किसानों के इस विरोध कार्रवाई के साथ एकजुटता कार्यक्रम आयोजित करें.