रांची: झारखंड स्टेट बार कौंसिल के वाईस चेयरमैन और राज्य के सुप्रसिद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल ने राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह को ई-मेल भेजकर राज्य में सरकारी वेंडरों की हड़ताल के चलते राज्य के सभी स्तरो के न्यायालयों में न्यायिक कोर्ट फी टिकट, एडवोकेट वेलफेयर टिकट सहित अन्य जरूरी टिकट न मिलने पर चिंता जताते हुए कहा है कि राज्य में अधिवक्ताओं को इन टिकटों के अभाव के चलते न्यायिक कार्यो में प्रकिया पूरा करने में कठिनाई हो रही है.
शुक्ल जो अखिल भारतीय अधिवक्ता कल्याण समिति के भी राष्ट्रीय महामंत्री है ने लिखा है कि एक तरफ कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से पूरे राज्य में अधिवक्ता कठिनाई का सामना कर रहे है, दुसरी तरफ कोर्ट फी टिकट नहीं मिलने से जहां प्रमाणित प्रति, सर्टिफाइड कॉपी आदेशों का मिलने में कठिनाई हो रही है, वहीं मामलों में पिटीशन आवेदन, अभ्यावेदनों पर कोर्ट टिकट नहीं लगने से कठिनाई का सामना अधिवक्ताओं के साथ मुवक्किल भी कर रहे है.
शुक्ल ने लिखा एडवोकेट वेलफेयर टिकट नहीं मिलने से भी राज्य बार कौंसिल को राजस्व की भारी क्षति हो रही है. एडवोकेट वेलफेयर टिकट से ही झारखंड एडवोकेट वेलफेयर ट्रस्टी कमिटी को राजस्व मिलता है जिससे अधिवक्ताओ की कल्याणकारी योजनाओं को मूर्त रूप मिलता है. शुक्ल ने मुख्यसचिव से एडवोकेट वेलफेयर टिकट लगाने की अनिवार्यता का कड़ाई से पालन करने का भी निर्देश देने का भी आग्रह किया है.
शुक्ल ने कहा है कि राज्य सरकार को वेंडरों की जायज मांगों पर विचार कर शीघ्र हड़ताल समाप्त कराने पर विचार करना चाहिए, ताकि न्यायालयों में न्यायिक टिकट, एडवोकेट वेलफेयर टिकट, नोटेरिअल , इम्बोसिंग टिकट सहित अन्य टिकटों का अभाव न हो. बैंकों के भी काम प्रभावित हो रहे है.
आज जमशेदपुर के अधिवक्ताओं का शिष्टमंडल नीलेश प्रसादऔर सुनिश पाण्डेय अधिवक्ता के नेतृत्व में झारखंड स्टेट बार कौंसिल के वाईस चेयरमैन एवं वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल से मिलकर इन कठिनाइयों और कोर्ट फी टिकट न मिलने की शिकायत की, जिस पर शुक्ल ने पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त सूरज कुमार से मोबाइल पर बात की और कोर्ट फी टिकट, एडवोकेट वेलफेयर टिकट, सहित अन्य टिकट जिला कोषागार से कोर्ट में सुलभ कराने का आग्रह किया.
उपायुक्त कुमार ने वैकल्पिक व्यवस्था कराने का आश्वासन दिया. शुक्ल ने मुख्यसचिव को यह भी आग्रह किया है कि सभी जिला, अनुमंडल बार एसोसिएशनों की भावनाओं और उनकी सुझावों के अनुरूप उनकी सुविधा का ख्याल कर इन टिकटों को सुलभ कराया जाये, ताकि अधिवक्ताओं को कठिनाई का सामना न करना पड़े.