रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के पेंशनरों और आकस्मिक श्रमिकों को पेंशन और मजदूरी का भुगतान नियमित कर्मियों के वेतन भुगतान से पहले सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी कदम उठाये जायेंगे.
बीएयू के नवनियुक्त कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने मंगलवार को मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए यह घोषणा की. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों और कम आय वाले मजदूरों को पैसे की जरुरत ज्यादा होती है, इसलिए उनके भुगतान को प्राथमिकता दी जाएगी.
कुलपति ने कहा कि शिक्षकों की घोर कमी के कारण विश्वविद्यालय के शिक्षण, शोध एवं प्रसार शिक्षा कार्यक्रमों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है, इसलिए झारखंड लोक सेवा आयोग के माध्यम से शिक्षकों एवं वैज्ञानिकों की शीघ्र भर्ती कराने का आग्रह लेकर वह शीघ्र मुख्यमंत्री और राज्यपाल से मिलेंगे. राज्य के युवा मुख्यमंत्री की रूचि अवश्य इस ओर होगी कि उच्च शिक्षण संस्थान बढ़िया से चलें.
विद्यार्थी ही किसी भी उच्च शिक्षण संस्थान के ब्रांड एम्बेसडर होते हैं इसलिए ऐसे गुणवत्तायुक्त स्नातक तैयार करना उनकी प्राथमिकता होगी जो नौकरियों के लिए आयोजित प्रतियोगिता परीक्षाओं तथा देश-विदेश के अग्रणी विश्वविद्यालयों एवं प्रबंधन संस्थानों में सफल होकर बीएयू का नाम रोशन कर सकें.
शिक्षकों की तकनीकी दक्षता में वृद्धि के लिए प्रत्येक विभाग से कम से कम एक शिक्षक को पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार, तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय, कोयम्बटूर जैसे देश के अग्रणी कृषि विश्वविद्यालयों में शिक्षण पद्धति एवं प्रयोगशाला के अध्ययन के लिए भेजा जायेगा.
उन्होंने बताया कि आईसीएआर, राज्य सरकार और अन्य राष्ट्रीय- अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा वित्त पोषित शोध परियोजनाओं के परिणामों का आकलन किया जा रहा है और निदेशक अनुसंधान एवं निदेशक प्रसार शिक्षा के साथ विमर्श कर क्षेत्र के लिए उपयोगी तकनीकों के प्रसार के लिए शीघ्र ही एक कार्य योजना तैयार की जाएगी.
उन्होंने कहा कि झारखंड की भू-आकृति, यहां के किसानों की जागरूकता का स्तर तथा उनकी जोत का आकर पंजाब, हरियाणा जैसे कृषि-अग्रणी राज्यों से अलग है इसलिए यहां के लिए अलग प्रकार की तकनीकों की आवश्यकता है.
आईसीएआर द्वारा प्रारंभ की गयी पूर्वी भारत में हरित क्रांति लाने संबंधी शोध परियोजना के तहत भी यहां के किसानों की उत्पादकता एवं आय बढ़ाने का कारगर प्रयास किया जायेगा.
विश्वविद्यालय जिला स्तर पर स्थापित अपने 16 कृषि विज्ञान केन्द्रों (केवीके) के माध्यम से ‘बिरसा बीज आच्छादन कार्यक्रम’ भी चलाएगा. इसके तहत प्रत्येक केवीके द्वारा चयनित 25 किसानों को गेहूं एवं चावल का 2 किलो उन्नत बीज दिया जायेगा, ताकि वे अपने खेत एवं प्रबंधन परिस्थितियों में उक्त प्रभेद के प्रदर्शन का आकलन कर सकें. चयनित किसानों को रोपाई-बोआई से लेकर कटनी तक तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदान किया जायेगा.