रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता छोटू ने कहा है कि केंद्र सरकार ने तीन काले कानूनों के माध्यम से किसान, खेत-मजदूर, छोटे दुकानदार, मंडी मजदूर और कर्मचारियों की आजीविका पर क्रूर हमला बोला है.
यह किसान, खेत और खलिहान के खिलाफ एक घिनौना षड़यंत्र है. उन्होंने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार इन तीन काले कानूनों के माध्यम से देश की हरित क्रांति को हराने की कोशिश की कर रही है.
प्रदेश प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि संघीय ढांचे का उल्लंघन कर, संविधान को रौंदकर, संसदीय प्रणाली को दरकिनार कर तथा बहुमत के आधार पर बाहुबली मोदी सरकार ने संसद के अंदर तीन काले कानूनों को जबरन तथा बगैर किसी चर्चा व राय मशवरे के पारित कर लिया.
यहां तक कि राज्यसभा में हर संसदीय प्रणाली और प्रजातंत्र को तार-तार ये काले कानून पारित किये गये. उन्होंने कहा कि संसद में संविधान का गला घोंटा जा रहा है और खेत खलिहान में किसानों-मजदूरों की आजीविका का.
जिन व्यक्तियों और ताकतों ने नरेंद्र मोदी के निरंकुश राजतंत्र को स्थापित करने के लिए पूरे प्रजातंत्र को ही निलंबित कर रखा है, उनसे कोई और उम्मीद की भी नहीं जा सकती. संसद में ‘वोट डिवीजन’ के न्याय की आवाज को दबाकर मुट्ठीभर पूंजीपतियों को खेती कर कब्जा करने के ‘वाॅईस वोट’ का अनैतिक वरदान दिया गया है.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार देश को गुमराह करने और बरगलाने में लगी है. प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार को किसानों व मजदूरों को जवाब देना चाहिए कि अगर अनाजमंडी-सब्जी मंडी व्यवस्था यानि एपीएमसी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी, तो कृषि उपज खरीद प्रणाली भी पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी, ऐसे में किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं कैसे मिलेगा.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का यह दावा कि अब किसान अपनी फसल देश में कहीं बेच सकता है, पूरी तरह से सफेद झूठ है. आज भी किसान अपनी फसल किसी भी प्रांत में ले जाकर बेच सकता है, परंतु वास्तविक सत्य क्या है.
उन्होंने कहा कि मंडियां खत्म होते ही अनाज-सब्जी मंडी में काम करने वाले लाखों-करोड़ मजदूरों, आढ़तियों, मुनीम, ढुलाईदारों, ट्रांसपोर्टरों, शेलर आदि की रोजी-रोटी तथा आजीविका अपने आप खत्म हो जाएगी.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि अनाज-सब्जी मंडली खत्म होने के साथ ही प्रांतों की आय भी खत्म हो जाएगी, अभी प्रांत मार्केट फीस व ग्रामीण विकास फंड के माध्यम से ग्रामीण अंचल का ढांचागत विकास करते है.
उन्होंने कहा कि कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अध्यादेश की आड़ में मोदी सरकार असल में शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट लागू करना चाहती है,ताकि एफसीआई के माध्यम से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद ही न करनी पड़े और सलाना 80 हजार से 1 लाख करोड़ की बचत हो.