हज़ारीबाग़: पकरी बरवाडीह कोयला खनन परियोजना का रैयत तथा भारतीय न्यास अधिनियम के तहत निबंधित संस्था झारखंड विस्थापन संघर्ष मोर्चा का संस्थापक सह निदेशक ने कहा कि, माननीय विधायक बडकागाँव अम्बा प्रसाद के द्वारा इस परियोजना के लिए मुआवजा का निर्धारण 35 लाख रूपये प्रति एकड की दर से तय किया गया है. आगे वो लिखती है कि यदि औद्योगिक भूमि की दर से मुआवजा का निर्धारण किया जाय तो 41 लाख रूपये प्रति एकड होता है, इसलिए 50 लाख रूपये प्रति एकड की दर से मुआवजा का भुगतान किया जाय. उक्त बातें कमिश्नर के रिपार्ट के क्रमांक 5 (1) (बी) तथा (सी) में वर्णित है.
जबकि सरकारी दस्तावेज के अनुसार इस क्षेत्र का मुआवजा 80 लाख रूपये प्रति एकड से अधिक होगा. विधायक के द्वारा तय किया गया मुवाअजा विधिसम्मत और न्यायसंगत नहीं है, जिसका मैं विरोध करता हूँ.
क्या होना चाहिए बाजार मूल्य
भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के अनुसार बाजार मूल्य का चार गुणा अलावे ब्याज मुआवजा के रूप में भुगतान किया जाना है. इसी अधिनियम के धारा 26 में बाजार मूल्य निर्धारण करने का विधि वर्णित है. आगे उन्होंने कहा, मैं ध्यान आकृष्ट कराना चाहता हूँ कि इस अधिनियम के आने के पहले सरकारी दर (सर्किल रेट) ही बाजार मूल्य होता था. परंतु, इस कानून के आने के बाद बाजार मूल्य निर्धारित करने का तरीका बदल गया. नए कानून के अनुसार, सरकारी दर, उच्चतम दर वाले केवाला का विक्रय दर तथा कम्पनी के द्वारा घोषित किया गया कंसेंट एमाउण्ट में से जो अधिक होगा, वही बाजार मूल्य होगा.
इन्हीं तथ्यों के आलोक में झारखंड सरकार के द्वारा वर्ष 2015 में ग्राम चिरूडीह, नगडी, चुरचु एवं उरूब का बाजार मूल्य 19 लाख 42 हजार 278 रूपये प्रति एकड निर्धारित किया गया गया है. जिसका वर्णन राज्यादेश संख्या 5271 दिनांक 24.11.2015 में किया गया है. नए कानून के अनुसार, इसका चार गुणा अलावे ब्याज मुआवजा के रूप में भुगतान किया जाना है. तदनुसार, कुल राशि 80 लाख रूपये से अधिक होगा.
यह भी उल्लेख किया जाना आवश्यक प्रतीत होता है कि एनटीपीसी के द्वारा वर्ष 2015 में ही कंसेंट एमाउण्ट की घोषणा की गई है, जो 9 लाख 94 हजार 539 रूपये 60 पैसे प्रति एकड है. जिसका वर्णन एनटीपीसी के पत्रांक 18381 दिनांक 18.05.2015 में किया गया है.
यह भी उल्लेख किया जाना आवश्यक प्रतीत होता है कि केवाला नं. 5272/2017 में विक्रय दर 20 लाख रूपये प्रति एकड तथा केवाला नं. 4374/2018 में विक्रय दर 22 लाख 05 हजार 882 रूपये प्रति एकड वर्णित है. दोनों ही केवाला ग्राम नगडी (बरवाडीह) के भूमि का है.
इस प्रकार, राज्यादेश संख्या 5271 दिनांक 24.11.2015 में वर्णित बाजार मूल्य के आधार पर अथवा दोनों केवाला में वर्णित विक्रय दर को आधार मानकर मुआवजा का गणना करने पर 80 लाख रूपये प्रति एकड से अधिक होता है.
उपरोक्त सभी तथ्यों से माननीय विधायक महोदया को अवगत कराया गया था तथा संबंधित सभी दस्तावेज समर्पित किया गया था. इसके बावजूद 35 लाख अथवा 41 लाख रूपये प्रति एकड मुआवजा निर्धारित किया जाना हास्यास्पद है. यदि सरकार के द्वारा इसी को लागू किया गया तो रैयतों को न्यायालय का शरण लेना पडेगा. जो काफी खर्चीला एवं बोझिल होगा तथा इसके लिए विधायक को जिम्मेवार माना जायेगा.