शशि भूषण दूबे कंचनीय,
मिर्जापुर: तिलहनी फसलों में सरसों का मुख्य स्थान है,जो एक नकदी फसल के रूप में किसान भाई अपनाते चले आ रहे हैं. वर्तमान समय में अनेक प्रजातियां विकसित हो चुकी हैं, जिनकी उत्पादन क्षमता पुरानी प्रजातियों से अपेक्षा कृत दुगुनी के आसपास है.
साथ ही भारत सरकार द्वारा अच्छा न्यूनतम समर्थन मूल्य भी लगातार बढ़ाया जा रहा है. ऐसी स्थिति में जनपद में सरसों की खेती लाभदायक है. बी०एच०यू० कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष प्रो. श्रीराम सिंह ने बताया कि इसके लिए आर०एच०749 प्रजाति की खेती पिछले तीन चार साल से किसान कर रहे हैं.
इस प्रजाति की औसत उपज 28-30 कुंतल है. फसल की बढ़वार अच्छी, फैलने वाली है. इसलिए इसकी बुवाई लाइनों करना और अन्य की अपेक्षा कम बीज दर का उपयोग लाभकारी होता है.
साथ ही घना होने पर बुवाई के बीस पच्चीस दिनों के अंदर घने पौधों को निकाल देना अधिक लाभकारी होता है. किसान भाई बुवाई से पहले बीज शोधन, उचित खाद/ उर्वरक डालकर लाइनों में बुवाई करके एक या दो बार सिंचाई करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
इसका बीज हमारे कृषि विज्ञान केन्द्र, बरकछा मीरजापुर में बिक्री के लिए उपलब्ध है. किसी भी कार्य दिवस में किसान बीज क्रय कर सकते हैं.