कांश के फूल से शारदीय नवरात्र के आगमन का हो रहा अहसास
रांची: दक्षिण-पूर्वी मॉनसून की वापसी शुरू हो गयी है, मॉनसून के विदा लेने के पहले अक्टूबर के पहले सप्ताह में झारखंड की राजधानी रांची समेत राज्य के कई हिस्सों में अच्छी बारिश की संभावना है. वहीं कांश के फूल मॉनसून की विदाई और शारदीय नवरात्र के आगमन का अहसास करा रहे है.
रांची स्थित भारतीय मौसम विज्ञान केंद्र के वरीय मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद ने बताया कि तीन अक्टूबर को रांची समेत राज्य के विभिन्न स्थानों पर मध्यम दर्जे की बारिश हो सकती है,वहीं 4 अक्टूबर को राज्य लगभग सभी स्थानों पर बारिश की संभावता है. मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार वापसी से पहले झारखंड में मौसम सामान्य रहेगा. कहीं विशेष बारिश की उम्मीद नहीं है. इस बार मॉनसून का स्पेल करीब 105 से 110 दिन के आसपास रह सकता है. जून के शुरुआती 15 दिनों में भी झारखंड में अच्छी बारिश हुई थी.इस बार मॉनसून में झारखंड में सबसे अधिक 1511 मिमी बारिश जमशेदपुर में हुई.
क्या होती है मॉनसून की वापसी
जब हवा का रुख समुद्र से पहाड़ की ओर जाता है, तो इसे साउथ वेस्ट मॉनसून कहते है.इस वक्त भारत में दक्षिण दिशा से हवा का रुख बारिश के साथ ऊपर की ओर जाता है, इससे नमी आती है और समुद्र की हवा जब भी आएगी, तो नमी के साथ आएगी और बारिश होती है. इसके बाद हवा का रुख बदल जाता है. देश के ऊपरी हिस्से यानी पहाड़ी से मैदान की ओर हवा आने लगती है, इसके साथ ही सर्दी का मौसम आ जाता है. जैसे-जैसे यह राज्यों में प्रवेश करते जाएगा, वहां सर्दी का एहसास होने लगेगा.
कांश के फूल से शारदीय नवरात्र के आगमन का अहसास
आसमान में छाये सफेद बादलों के साथ धरती पर चारों तरफ फैले सफेद काश (कांश) के फूल इन दिनों देवी दुर्गे (शारदीय नवरात्र) के आगमन का अहसास करा रहे हैं. इन दिनों जहां भी नजर दौड़ाएं, लंबे-लंबे काश के फूल मंद-मंद बहती हवाओं के साथ अठखेलियां करते मन को ऐसे प्रफुल्लित करते हैं, मानों पूरी प्रकृति देवी दुर्गा के स्वागत को आतुर हो रही हो.
झारखंड के अधिकांश इलाकों में वर्षा ऋतु के समापन एवं शरद ऋतु के आगमन के दौरान ऊंचे पहाड़ी इलाकों, खेतों की मेढ़ों व नदियों के तट पर काश के फूल लहराते नजर आते हैं. काश फूल नदी किनारे जलीय भूमि, बलूई सूखे इलाकों, पहाड़ी एवं ग्रामीण क्षेत्र में टीले रूपी हर स्थानों पर देखे जा सकते हैं. लेकिन नदी के तटीय इलाकों में काश फूल ज्यादा उगते हैं. काश फूल एक तरह की घास की प्रजाति है.
आयुर्वेद में इसका कई रोगों में औषधीय महत्व है. शरद ऋतु के आगमन पर जब नीले आसमान में सफेद बादल अठखेलियां करते हैं तब धरा में सफेद काश फूल हौले-हौले हिलते हुए अपने अस्तित्व को बयां करते हुए ऐसे इतराते हैं मानो धरती व आसमान सादगी से नहा उठा हो.