-सचिवालय संवर्ग के 2,375 पद सृजित हैं, इनमें से 1043 पद ही कार्यरत हैं, 1332 पद अब भी खाली हैं
-एक सहायक को दो से तीन शाखा का प्रभार
रांची: झारखंड में सचिवालय संवर्ग के अधिकारियों की कमी है. आधे से अधिक पद खाली पड़े हुए हैं. संयुक्त सचिव से लेकर सहायक तक के पद खाली हैं. आंकड़ों पर गौर करें तो लगभग 90 फीसदी पद खाली पड़े हुए हैं.
झारखंड सचिवालय सेवा के विभिन्न स्तर पर स्वीकृत एवं कार्यरत बल के बीच काफी अंतर है. सचिवालय में सहायक, प्रशाखा पदाधिकारी, अवर सचिव, उप सचिव और संयुक्त सचिव के कुल 2,375 स्वीकृत पद हैं. इनमें से 1043 पद ही कार्यरत हैं, यानी 1332 पद खाली हैं.
कामकाज पर पड़ रहा है असर :
सचिवालय में पदाधिकारियों की कमी का असर काम-काज पर भी पड़ रहा है. सचिवालय संवर्ग के अधिकारी सचिवालय की रीढ़ होते हैं. हर विभाग में प्रशाखा होता है, जिसके प्रभारी प्रशाखा पदाधिकारी ही होते हैं. प्रशाखा पदाधिकारी के 90 प्रतिशत से अधिक पद खाली हैं. नतीजा यह है कि एक सहायक प्रशाखा पदाधिकारी दो से तीन प्रशाखा के प्रभार में हैं, जिसका असर कामकाज पर पड़ रहा है. काम की रफ्तार भी धीमी है. सही तरीके से काम नहीं हो पा रहा है.
प्रमोशन नहीं होना भी वजह:
किसी भी विभाग में प्रशाखा पदाधिकारी मुख्य होते हैं. प्रोन्नति नहीं मिलने से यह पद पूरी तरह से खाली है. केवल जिम्मेवारियां बढ़ गयी पर पद नहीं भरे. वर्ष 2008 में कई नयी शाखाओं की बढ़ोत्तरी हो गयी, परंतु उस अनुसार पदों का सृजन नहीं हुआ.
सहायक प्रशाखा पदाधिकारी का पद बहाली का पद है. इसके 15 फीसदी पद प्रोन्नति व परीक्षा से भरा जाना है. सरकार को अधियाचना भी भेजा जा चुका है पर कुछ कारणवश मामला लटक गया है.
स्वीकृत पद को भरा नहीं गया:
राज्य गठन के बाद से सचिवालय में स्वीकृत पद को कभी नहीं भरा जा सका. सचिवालय संवर्ग में संयुक्त सचिव का 23 पद स्वीकृत है. इनमें चार पद खाली है. वहीं उप सचिव का 54 पद स्वीकृत है. इनमें 17 पद अब तक रिक्त है.
इसके अलावा अवर सचिव का 328 पद स्वीकृत है. इनमें 236 पद कार्यरत है. 17 पद खाली पड़े हुए हैं. जबकि, प्रशाखा पदाधिकारी के 657 पद स्वीकृत है. इनमें मात्र 57 पद ही कार्यरत है.
प्रशाखा पदाधिकारी के 600 पद खाली पड़े हुए हैं. इसके अलावा सहायक प्रशाखा पदाधिकारी के 1313 स्वीकृत पद के खिलाफ 694 पद ही कार्यरत हैं. 619 पद अब भी रिक्त हैं.