जमशेदपुर: जिंदगी से हर गम सौ कोस दूर मिलेगा, वो शख्स सौ लोगों में मशहूर मिलेगा, यूं तो हर किसी की जिंदगी ऐसी होगी, मगर करेगा जो मेहनत उसे मुकाम जरूर मिलेगा… इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है पोटका प्रखंड अंतर्गत नारदा पंचायत के किसानों ने. यहां के किसानों ने बंजर जमीन को न केवल उपजाऊ बनाया, बल्कि उस जमीन में तिल की खेती कर एक बेहतर कमाई का जरिया भी बनाया। इस कार्य में जहां किसानों का लगन और मेहनत शामिल है, वहीं झारखंड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी (जेटीडीएस) का सहयोग भी उन्हें मिला है. जेटीडीएस के पहल पर नारदा एवं कुंदरूकोचा के किसानों ने गांव के खाली पड़े बंजर जमीन को उपजाऊ बना दिया. इसमें हल जोतने का कार्य एवं बीज किसानों ने लगाये, जबकि तकनीकी एवं खाद की उपलब्धता जेटीडीएस की ओर से किया गया. नया तरीके की वैज्ञानिक विधि से खेती करने के शुरूआत में किसानों को थोड़ा अटपटा जरूर लगा लेकिन जेटीडीएस के द्वारा लगातार काउंसिलिंग, प्रशिक्षण एवं फिल्ड विजिट के पश्चात किसान खेती के प्रति इच्छुक हुये और खेती करना शुरू किया. दोनो गांव में वर्तमान में 25 से अधिक किसानों ने 28 एकड़ (कुंदरूकोचा में 15 एकड़ एवं नारदा मे 13 एकड़) से अधिक जमीन में तिल की खेती किया है, जिसका अच्छा पैदावर भी देखने को मिला. उस तिल के बीच को किसान अब बेचना शुरू कर दिये है इससे उनकी अच्छी अमदनी हो रही है.
हम सिर्फ धान की खेती करते थे, तिल की जानकारी नहीं था : महिला समिति
नारदा पंचायत के नारदा गांव के सागेन सकम महिला समिति के मालती सोरेन एवं पार्वती टुडू तथा सिद्धु कान्हु बिरसा तिलका महिला समुह के किरण टुडू ने कहा कि पहले हमलोग सिर्फ धान की खेती करते थे और हमें तिल के खेती के बारे मे किसी तरह की जानकारी नही थी. जीटीडीएस के द्वारा तिल की खेती के बारे मे जानकारी दिया गया और हम लोगों ने पिछले साल से गांव के खाली पड़े बंजर जमीन में खेती करना शुरू किया. शुरूआती वर्ष में काफी कम जगह में खेती किया लेकिन लाभ मिला, जिसके बाद इस साल 13 एकड़ जमीन में तिल की खेती किये और अच्छा पैदावर भी हुआ, जिससे अच्छी कमाई हो रही है.
पोटका प्रखण्ड के कुंदरूकोचा गांव के दीपक सरदार और गोबिंद सरदार, जो जय बाबा पोटरा पहाड युवा समूह के सचिव और अध्यक्ष है. इन्होंने अथक प्रयास कर समूह बनाया और समुह में 15 लोगों को जोड़कर जेटीडीएस के सहयोग से खेती करना शुरू किया। इन्होंने कहा कि शुरू में इस खेती में नयापन लगा, लेकिन प्रशिक्षण के पश्चात काफी जानकारी मिली, जिसके बाद खेती करना शुरू किये. तिल की खेती अच्छा हुआ है, तिल का बिक्री किया जा रहा है, लाभ भी हो रहा है. इसमे जेटीडीएस बेहतर सहयोग कर रही है. यदि सभी क्षेत्र के किसान इसी तरह खेती करना शुरू करें, निश्चित रूप एक दिन हम कृषि में अग्रणी बनेंगे.
झारखण्ड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी (जेटीडीएस) पूर्वी सिंहभूम के जिला प्रबंधक रूस्तम अंसारी ने कहा कि जेटेल्प परियोजना का मुख्य उद्देश्य कृषिगत विकास, जीविका के साधन में इजाफा करना, सामुदायिक सशक्तिकरण है. इसी के तहत जेटीडीएस के द्धारा स्वयं सहायता समूह एवं युवा समूह का गठन क्षेत्र में कार्य करने वाली उत्प्रेरक संस्था के माध्यम से किया गया. साथ ही चयनित गांवों में खेती की तकनीक में सुधार, खाली पडी टांड जमीन में दलहन, तेलहन, तील, तीसी, मूंग आदि फसल को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिये किसानों को प्रशिक्षण, उन्मुखीकरण अन्य गांव में क्षेत्र भ्रमण कराया जा रहा है, जिससे वह प्रेरित होकर इस दिशा में आगे बढ़ रहे है.
नारदा पंचायत के मुखिया चंका सरदार का कहना है कि तिल की खेती के प्रति किसान काफी रूची ले रहे हैं और नारदा एवं कुंदरूकोचा के किसान गांव के खाली पड़े 28 एकड़ से अधिक जमीन में तिल की खेती किये, जिसका अच्छा असर भी देखने को मिला. यदि सभी किसान ऐसे ही खेती करें तो एक दिन निश्चित रूप से किसान सशक्त बनेंगे.