रांचीः वामदलों के राष्ट्रीय आंदोलन के तहत बुधवार को रांची में शहीद चौक से राजभवन तक मार्च किया गया. राजभवन मार्च का आयोजन सीपीआई, सीपीआई एम, सीपीआई माले व मासस ने संयुक्त रूप से किया.
इस मार्च के जरिये किसान व किसान विरोधी केंद्र सरकार के काले कानून, कोयले के व्यवसायिक खनन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर हमले, स्वास्थ्य सेवा की बदहाली व कोरोना के नाम पर निजी स्वास्थ्य केंद्रों की मनमानी लूट का विरोध किया गया.
राजभवन मार्च का प्रारंभ जिला स्कूल के मैदान से हुआ. इसका नेतृत्व भाकपा जिला सचिव अजय कुमार सिंह, माकपा के जिला सचिव सुखनाथ लोहरा, भाकपा माले के जिला सचिव भुवनेश्वर केवट कर रहे थे.
मार्च में शामिल सैकड़ों की संख्या में वाम कार्यकर्ताओं ने किसान व किसानी की हिफाजत, कोयले के व्यवसायिक खनन पर रोक लगाने, सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के विरोध में नारे लगा रहे थे.
मार्च राजभवन पर पहुंच कर केंद्र की विभिन्न जनविरोधी कानूनों व कार्रवाईयों के खिलाफ आक्रोश पूर्ण प्रदर्शन किया. उसके बाद एक सभा में बदल गयी. सभा की अध्यक्षता भाकपा नेता केडी सिंह ने किया.
सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने केंद्र सरकार के कृषि कानूनों पर कुठाराघात किया है और कहा कि यह किसान व कृषि दोनों के अस्तित्व के लिए खतरनाक है. यही कारण है कि पूरे देश के किसान इन कानूनों के खिलाफ है. परंतु सरकार पूरी तरह से तानाशाही पर उतर कर कॉरपोरेट घरानों की दलाली कर रही है.
वहीं वक्ताओं ने देश के अंदर राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं व बुद्धजीवियों को गिरफ्तार किये हुए है, जो नागरिकों के मौलिक अधिकारों पर हमला है. साथ ही कोरोना के नाम पर निजी स्वास्थ्य केंद्रों की मनमानी लूट पर सवाल उठाया.
सभा को मुख्य रूप से भाकपा के सहायक राज्य सचिव महेंद्र पाठक, केडी सिंह, प्रमोद साहू, डॉ मिथिलेश दांगी, फरजाना फारूकी, मेहुल मृगेंद्र, सीपीआई एम के सुफल महतो, वीणा लिंडा, प्रकाश विप्लव, भाकपा माले के जनार्दन प्रसाद व अजब लाल सिंह समेत कई लोगों ने संबोधित किया. धन्यवाद ज्ञापन उमेश नजीर ने किया.
मार्च के बाद राज्यपाल को 10 सूत्री ज्ञापन सौंपा गया और राज्य व केंद्र सरकार से ठोस कदम उठाए जाने की अपील की है.