दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की कमी को पूरा करने के लिए 1.1 लाख करोड़ रुपए का कर्ज लेगी. कर्ज ली गई राशि को राज्यों को आगे बढ़ाया जाएगा. इसे उन्हें जीएसटी कंपेन्सेशन सेस रिलीज के बदले में एक के बाद एक लोन के तौर पर दिया जाएगा.
जीएसटी में कमी की भरपाई के लिए केंद्र ने अगस्त में राज्यों को दो विकल्प दिए थे. इसके तहत या तो वे आरबीआई की विशेष सुविधा के जरिये 97,000 करोड़ रुपए कर्ज ले सकते थे. या फिर बाजार से 2.35 लाख करोड़ रुपए का कर्ज ले सकते थे
- इस रकम को जीएसटी कंपेन्सेशन सेस के बदले में एक के बाद एक लोन के तौर पर दिया जाएगा
- लग्जरी और गैर जरूरी सामानों पर नुकसान भरपाई सेस को 2022 के बाद भी लगाया जाएगा
अगस्त में दो विकल्प दिया था सरकार ने
बता दें कि जीएसटी में कमी की भरपाई के लिए केंद्र ने अगस्त में राज्यों को दो विकल्प दिए थे. इसके तहत या तो वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की विशेष सुविधा के जरिये 97,000 करोड़ रुपए कर्ज ले सकते थे. या फिर बाजार से 2.35 लाख करोड़ रुपए का कर्ज ले सकते थे. हालांकि बाद में कुछ राज्यों की मांग पर पहले विकल्प के तहत रकम को 97 हजार करोड़ रुपए से बढ़ाकर 1.11 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है.
इसके अलावा उधारी को चुकाने के लिए लग्जरी और ऐसे सामान जो जरूरी नहीं हैं जैसे सिगरेट, बीड़ी, शराब आदि पर लगने वाले नुकसान भरपाई सेस को 2022 के बाद भी लगाने का प्रस्ताव किया गया है.
किस्त के तहत कर्ज के तौर पर मिलेगा पैसा
वित्त मंत्रालय के मुताबिक विशेष कर्ज व्यवस्था के तहत सभी राज्यों को जीएसटी में 1.1 लाख करोड़ रुपए की कुल अनुमानित कमी को भारत सरकार उपयुक्त किस्तों में कर्ज के तौर पर लेगी. इससे भारत सरकार के राजकोषीय घाटा (फिस्कल डेफिसिट) पर कोई असर नहीं होगा. क्योंकि इस पैसे को राज्य सरकारों के कैपिटल रिसीट (प्राप्त पूंजी) के रूप में दिखाया जाएगा.
21 राज्यों ने उधारी के लिए दी है मंजूरी
अब तक करीबन 21 राज्यों ने पहले ही 78 हजार 542 करोड़ रुपए के उधारी के लिए मंजूरी दे दी है. इन राज्यों में तमिलनाडू, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, उड़ीसा, सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं.