रांचीः झारखंड इंसाफ मांग रहा है. केंद्र से बकाए राशि की मांग की जा रही है. केंद्र ने अपना हक तो ले लिया, लेकिन राज्य का हक अब तक नहीं दिया. पूर्व सरकार के समय बजट के आकार के बराबर कर्ज हो गया था. इसे पाटना वर्तमान सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गई है.
इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है पूर्व की सरकार के समय आरबीआइ (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) से 37,257.7 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया. भारत सरकार से 1,761.53 करोड़ रुपये कर्ज लिया गया.
उदय योजना के तहत कर्ज के रूप में 5,553.4 करोड़ रुपये मिले. निगोसिएटेड लोन के रूप में 10,533.53 करोड़ का कर्ज है. एडवांस के रूप में 913.56 करोड़ रुपये लिये गये. इसका नतीजा यह हुआ कि कर्ज का ब्याज चुकाने में ही 17,558.07 करोड़ रुपये चले गये.
वर्ष 2014-15 में 2,929.15 करोड़ रुपये ब्याज में चुकाया गया. वर्ष 2015-16 में 3,320.08 करोड़ रुपये, वर्ष 2016-17 में 4,138.40 करोड़, वर्ष 2017-18 में 4,661.68 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में चुकाये गये. इसके बाद वर्ष 2018-19 में 2508.76 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में चुकता किये गये हैं.
भारत सरकार से किस साल कितना लिया है कर्ज
वित्तीय वर्ष कर्ज की राशि करोड़ में
- 2011-12 32.53
- 2012-13 238.7
- 2013-14 106.2
- 2014-15 153.2
- 2015-16 165.00
- 2016-17 234.3
- 2017-18 231.6
- 2018-19 600.00
आरबीआइ से कितना लिया है साल दर साल कर्ज
वित्तीय वर्ष कर्ज की राशि करोड़ में
- 2011-12 1254.05 करोड़
- 2012-13 3600.00 करोड़
- 2013-14 2950 करोड़
- 2014-15 4950 करोड़
- 2015-16 5350 करोड़
- 2016-17 5154 करोड़
- 2017-18 5999.65 करोड़
- 2018-19 8000 करोड़
निगोसिएटेड लोन
वित्तीय वर्ष कर्ज की राशि करोड़ में
- 2011-12 873.98
- 2012-13 770.33
- 2013-14 1031.56
- 2014-15 814.23
- 2015-16 1044.71
- 2016-17 1693.13
- 2017-18 1905.59
- 2018-19 2400
केंद्र के पास राज्य का कितना बकाया
- जीएसटी का 2982 करोड़
- कोल इंडिया और सेल का 38500 करोड़
- कोल इंडिया का 3300 करोड़