जगदम्बा प्रसाद शुक्ल,
प्रयागराज: मण्डलायुक्त कार्यालय के गांधी सभागार में रविवार कोे जिला प्रशासन फतेहपुर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कोरोना काल पर आधारित दो विशिष्ट पुस्तकों ‘आरोपित एकांत‘ और ‘जान है तो जहान है‘ के मुखपृष्ठों का मण्डलायुक्त आर. रमेश कुमार के द्वारा अनावरण किया. पुस्तकों एवं उसके मुखपृष्ठ की प्रासंगिकता एवं महत्ता के बारे में जिलाधिकारी फतेहपुर संजीव सिंह एवं पुस्तक के संपादक एवं संकलनकर्ता अमित राजपूत ने बताया कि ये दोनों पुस्तकें वैश्विक महामारी कोविड-19 के कारण हुये लाॅकडाउन से उपजी विषम परिस्थितियों के बारे में साहित्य सर्जना का एक अनूठा प्रयोग हैं.
जिलाधिकारी संजीव सिंह ने बताया कि ‘आरोपित एकांत‘ फतेहपुर के नागरिकों द्वारा लाॅकडाउन के दौरान उत्पन्न परिस्थितियों एवं कुछ अनूठे सकारात्मक पहलुओं के सजीव संस्मरणों का संग्रह है. ‘जान है तो जहान है‘ कोरोना काल की उन कविताओं का विशिष्ट संग्रह है, जिनके सहारे नागरिकों को इस कोरोना महामारी सेे लड़ने में बल मिल सका. इसमें जनपद फतेहपुर के आम नागरिकों, अध्यापकों, अधिवक्ताओं, सरकारी कर्मचारियों तथा अन्य लोगों द्वारा लिखी गयी रचनाएं सम्मिलित हैं.
गद्य संकलन ‘आरोपित एकांत‘ में 34 लोगों की कुल 39 रचनाएँ तथा पद्य संकलन ‘जान है तो जहान है में 94 लोगों की कुल 117 रचनाएँ सम्मिलित हैं. पुस्तकों में जिलाधिकारी फतेहपुर एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती श्वेता सिंह के द्वारा लिखी गयी कविताएं भी सम्मिलित है. फतेहपुर के राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय फलक पर जनपद का नाम रोशन करने वाले मशहूर फिल्म डिजाइनर एवं वरिष्ठ रंगकर्मी सलीम आरिफ, उर्दू अकादमी पुरस्कार प्राप्त मकबूल शायर जफर इकबाल, सुधाकर अवस्थी और वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेम दत्त तिवारी जैसे चर्चित नामों की रचनाएँ इनमें शामिल हैं.
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मण्डलायुक्त आर. रमेश कुमार ‘आरोपित एकांत‘ और ‘जान है तो जहान है‘ पुस्तकों के मुखपृष्ठों का अनावरण करते हुए कहा कि आने वाली पीढ़ी के लिए ये दोनों पुस्तकें कोरोना आपदा के दौरान की कठिन परिस्थितियों एवं लोगों के ऊपर पड़ेे मनोवैज्ञानिक प्रभावों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने में एक माध्यम के रूप में होगी. उन्होंने कहा कि फतेहपुर जिला प्रशासन का ये प्रयास आम जन और प्रशासनिक सामन्जस्य का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो लोगों को प्रेरणा देने वाला है. उन्होंने कहा कि इसी तरह के प्रयास अन्य जनपदों में भी होने चाहिए. कहा कि हम कामना करते है कि ये पुस्तकें भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान बना सके तथा नाम रोशन कर सके.
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रख्यात भाषाविद् और समीक्षक आचार्य पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने इस पूरे कार्यक्रम और अमित राजपूत के संपादन को अनूठा बताया. पाण्डेय ने कहा कि इन दोनों पुस्तकों की भूमिका लिखने के दौरान ही उनके द्वारा दोनों पुस्तकों का अध्ययन कर लिया गया था. पुस्तकों की भाषा और बोध गम्यता उत्कृष्ठ व गहरे हैं. इन दोनों पुस्तकों का प्रकाशन नवम्बर माह में संभावित है. जिलाधिकारी फतेहपुर संजीव सिंह ने बताया कि पुस्तक के प्रकाशन के बाद प्रारम्भ की एक हजार पुस्तकों का जो मूल्य प्राप्त होगा वह मुख्यमंत्री के फण्ड कोष में दिया जायेगा.