राँची. मुनिया बिटिया पढ़ती जाये हरिजन की बिटिया एड्मिशन के लिए तरसती जाए .
कलमाटी कस्तूरबा आवासीय से प्रथम श्रेणी से मैट्रिक की परीक्षा पास करने वाली अंजली अनाथ के साथ दलित भी है . ना कोई छत ना कोई सहारा .राँची में रहने वाले सरकारी स्कूल के मास्टर ने जब उसे ऊपर उठाने की कोशिश की और कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय Chanho में एड्मिशन कराना चाहा तो वॉर्डन महोदया ने बिना जाति प्रमाणपत्र के एड्मिशन लेने से इनकार कर दिया .कहा कि राँची में पढ़ाइए क्योंकि आपका ऐड्रेस राँची का है .
इसके अलावा आपको स्थानीय का प्रमाण पत्र देना होगा .आधार कार्ड को स्थानीय होने का प्रमाण नहीं माना गया . साथ में किसी बड़े शिक्षा पदाधिकारी से लिखवा कर लाने को भी कहा गया .
हरिजन की बेटी को आज भी एड्मिशन के लिए परेशान किया जा रहा है .
मुनिया बिटिया तो पढ़ेगी ओर अंजलि बिटिया नहीं ,ना माँ ना बाप ,मास्टर साहेब भी हाथ ना खड़े कर दें .