रांची: झारखंड में सरकारी बैंक खातों से 21 करोड़ रुपए से अधिक की निकासी के मामले में सनसनीखेज खुलासा हुआ है. साइबर अपराधियों का देशभर में फैले गिरोह के सदस्य पैसों की निकासी के लिए साथ मिलकर काम कर रहे थे. सीआईडी की जांच में इस मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे सामने आए हैं.
जांच में यह जानकारी मिली है कि इस गिरोह का मास्टरमाइंड बिहार के नालंदा का रहने वाला साजन राज है. मामले में सीआईडी को मुंगेर के भी एक साइबर अपराधी की तलाश है. साजन पुलिस की गिरफ्त में ना आए इसके लिए मनीष जैन और मंगल नाम का इस्तेमाल किया करता था. झारखंड के जामताड़ा साइबर अपराधियों के गैंग से अलग साइबर अपराधियों का यह गैंग ना सिर्फ काफी हाई प्रोफाइल तरीके से काम करता था, बल्कि गिरोह के सदस्य तकनीकी तौर पर भी काफी माहिर है. सीआईडी ने मामले की जांच कर गिरोह के मास्टरमाइंड साजन राज, गणेश लोहरा, पंकज तिग्गा, मो इकबाल अंसारी उर्फ राज, मनीष पांडेय, राजकुमार तिवारी पर चार्जशीट दायर की है. गिरोह के सदस्यों ने फर्जीवाड़ा कर पलामू के भू-अर्जन कार्यालय से 12.60 लाख रुपए, जबकि गुमला के समेकित जनजाति विकास अभिकरण (आईटीडीए) खाते से 9.05 करोड़ की निकासी की थी.
सरकारी बैंक खातों के निकासी के लिए पहले बैंक खाता के चेक की क्लोनिंग की जाती थी. नालंदा का साजन राज क्लोन चेक का इंतजाम करता था. इसके बाद गिरोह के सदस्य बड़ी चालाकी से सरकारी खातों से लिंक सिम कार्ड का फर्जी सिम जारी करवा लेते थे. सीआईडी ने चार्जशीट में बताया है कि पैसों के ट्रांसफर करने के घंटे दो घंटे पहले सिम कार्ड को बंद कर दिया जाता था. दो अलग-अलग खातों से पैसों को पहले ओडिशा के एक बैंक में शीतल कंस्ट्रक्शन और चंदूभाई पटेल के बैंक खातों में ट्रांसफर कराया गया था. इसके बाद पैसों को यहां से पुणे, नागपुर, जमशेदपुर, पलामू समेत अन्य जिलों में रहने वाले साइबर अपराधियों के खाते में ट्रांसफर कर दिए गए थे. सीआईडी ने तकरीबन 90 लाख रुपए राजकुमार तिवारी और मनीष पांडेय के खाते से जब्त किए थे. जांच के क्रम में सीआईडी ने मास्टरमाइंड के पास से फर्जी सिम, क्लोन चेक बुक की कॉपी भी बरामद की थी.
गिरफ्तारी के बाद सीआईडी ने साइबर अपराधियों का बयान लिया था. बयान में साइबर अपराधी गिरोह के सरगना ने बताया था कि वह हमेशा सरकारी खातों से पैसा लूटते हैं, कभी भी आमलोगों को नुकसान नहीं पहुंचाते. पूछताछ में अपराधियों ने बताया था कि सरकार के पास पैसे हैं, इसलिए उसे लूटते हैं. आमलोगों को कभी परेशान नहीं किया.
सीआईडी अधिकारियों के मुताबिक, नालंदा के मास्टरमाइंड की ओर से फर्जी नाम मनीष जैन का इस्तेमाल किया जाता था. लेकिन पुलिस ने पैसे ट्रांसफर होने वाले खातों की जांच की तो इससे एक खाता साजन राज के नाम मिला. इस खाते पर जारी क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल की डिटेल सीआईडी ने तलाशना शुरू किया, तब पुलिस नालंदा के मास्टरमाइंड तक पहुंची.
सीआईडी अधिकारियों के मुताबिक, गिरोह में अधिकांश सदस्य बैंक फ्रॉड के मामले में प्रोफेशनल रहे हैं. चार्जशीटेड अधिकांश आरोपियों का पुराना साइबर अपराध संबंधी इतिहास भी रहा है.