रांचीः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बड़ा फैसला लिया है. आरबीआई ने करंट बैंक खाते से जुड़े नए नियमों को 15 दिसंबर से लागू करने का फैसला किया है. इससे पहले इसकी आखिरी तारीख 5 नवंबर तय की गई थी.
नए नियमों के मुताबिक, कंपनियों को उस बैंक में अपना करंट अकाउंट या ओवरड्राफ्ट अकाउंट खुलवाना ही होगा, जिससे वे कर्ज ले रहे हैं. इससे कर्जदाता बैंक को कंपनी के कैश फ्लो के बारे में पूरी जानकारी रहेगी. साथ ही आरबीआई ने बैंकों से भी कहा है कि वे करंट अकाउंट को कर्ज देने के लिए इस्ते माल ना करें.
इसके बजाय बैंक कर्ज लेने वाले व्यआक्ति को वस्तु और सेवाएं मुहैया कराने वाली कंपनी को सीधे भुगतान करें. इससे कर्ज की रकम की हेराफेरा पर रोक लगेगी. आरबीआई की ओर से जारी आदेश में बताया गया है कि वो जल्द इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब भी जारी करेंगे.
आखिर RBI ने क्यों लिया ये फैसला
आरबीआई इस फैसले की मदद से कर्ज के तौर पर ली गई रकम की हेराफेरी पर रोक लगाना चाहता है. अभी तक ज्याआदातर कर्ज लेने वाली कंपनियां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से लोन लेते हैं लेकिन रोजमर्रा की जरूरतों के लिए करंट अकाउंट विदेशी या निजी बैंक में खुलवाते हैं.
दरअसल, ये बैंक अपने ग्राहकों को बेहतर नगदी प्रबंधन की पेशकश करते हैं. ज्याददातर विदेशी और निजी मझोली कंपनियों को बड़ा कर्ज नहीं देते हैं लेकिन सभी बैंक चाहते हैं कि कंपनियां अपने करंट अकाउंट उनके पास ही खुलवाएं.
आइए जानें नए नियमों के बारे में
उपभोक्तां ने बैंकों से 5 करोड़ रुपए से कम लोन लिया है. ऐसी कंपनियों का कोई भी बैंक करंट अकाउंट खोल सकता है.
बैंकिंग सिस्टनम से 5 से 50 करोड़ रुपए तक का लोन लेने वाले उपभोक्तांओं का करंट अकाउंट सिर्फ कर्जदाता बैंक में ही खुल सकता है. नॉन-लेंडिंग बैंक ऐसी कंपनियों का सिर्फ कलेक्श न अकाउंट खोल सकते हैं, यानी इनमें सिर्फ पैसा आ सकता है. इस पैसे का कर्ज देने वाले बैंक के कैश क्रेडिट अकाउंट में भुगतान करना होगा. कलेक्शयन अकाउंट पर बैंक को कोई फायदा नहीं मिलता है.
बैंकिंग सिस्टंम से 50 करोड़ रुपए से ज्याादा का कर्ज लेनी वाली कंपनी का एक कर्जदाता बैंक में एक एस्क्रोर अकाउंट खोलना होगा और यही बैंक करंट अकाउंट भी खोल सकता है. ऐसी कंपनी का दूसरे बैंक कलेक्शलन अकाउंट खोल सकते हैं.
बैंकर्स के मुताबिक, अभी तक ये साफ नहीं है कि इसे लागू कैसे किया जाएगा. साथ ही ये भी सवाल है कि इन नियमों की निगरानी कैसे की जाएगी. हालांकि, उनका कहना है कि नए नियमों और पाबंदियों का सबसे बड़ा फायदा सरकारी बैंकों को ही मिलेगा.