भुवनेश्वर: ओडिशा के जंगलों में एक बेहद दुर्लभ बाघ देखा गया है. खास बात है कि इस बाघ के शरीर पर बहुत ही करीब काली धारियां हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो पूरे राज्य में इस तरह के बाघों की संख्या केवल 7-8 ही बची है. गौरतलब है कि अकेले ओडिशा में ही पूरी दुनिया के काले बाघों की 70 फीसदी आबादी रहती है. यहां पर पहली बार काली धारियों वाला बाघ 2007 में सिमिपाल टाइगर रिजर्व में पाया गया था.
ओडिशा में मिले इस बाघ का औपचारिक नाम मेलेनिस्टिक टाइगर है. बाघ के शरीर पर बनी यह काली धारियां जैनेटिक डिफेक्ट के कारण आती हैं. वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट और वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में वैज्ञानिक डॉक्टर बिवाश पांडव ने पहले भी यह दावा किया था कि काली धारियों वाले बाघ दुनिया में बहुत दुर्लभ हैं. उन्होंने बताया, ‘इनमें से ओडिशा में केवल 7-8 बाघ ही बचे हैं. यह बाघ अपने जैनेटिक्स के कारण दुर्लभ होते हैं.’