दिल्ली: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhat Pooja) में अब केवल कुछ दिन ही बाकि रह गए हैं. हर वर्ष धूमधाम से मनाए जाने वाले इस पर्व की रौनक इस साल फीकी रहेगी. कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के मद्देनजर इस साल छठ पूजा का आयोजन सार्वजनिक स्थलों पर नहीं किया जाएगा. 4 दिवसीय यह पर्व बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में लाखों लोगों द्वारा मनाया जाता है.
पिछले साल, दिल्ली सरकार की ओर से इस पर्व के आयोजन के लिए यमुना नदी समेत कुल 1,108 छोटे बड़े घाट बनवाए गए थे. सरकार इस साल भी छोटे स्तर पर छठ पूजा का आयोजन कराने की ताक में थी और बकायदा इसके लिए दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को प्रस्ताव भी भेजा गया था, जिसमें कम भीड़, आर्टिफिशियल घाट, सामाजिक दूरी और जागरूकता को लेकर सभी तमाम इंतजाम करने की बात कही गई थी, मगर कोरोना के मौजूदा हालातों का हवाला देते हुए डीडीएमए ने दिल्ली सरकार की ओर से छठ पूजा के आयोजन के लिए भेजे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया.
सार्वजनिक स्थलों पर नहीं होगा छठ पूजा का आयोजन
उपराज्यपाल अनिल बैजल की अध्यक्षता वाली दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने दिल्ली सरकार की ओर से छठ पूजा के आयोजन के लिए भेजे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया. डीडीएमए ने दिल्ली सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इसलिए इनकार कर दिया क्योंकि केंद्र सरकार की ओर से अभी तक स्वीमिंग पूल खोलने के निर्देश नहीं दिए गए हैं और कोरोना के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं. राजस्व मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा, ‘इस साल छठ पूजा का आयोजन सार्वजनिक स्थलों पर नहीं किया जाएगा, हालांकि भक्त अपने-अपने घरों में या किसी निजी स्थल पर इस पर्व को कोविड-19 दिशानिर्देशों का पालन करते हुए मना सकते हैं’.
मालूम हो कि इस साल छठ का ये महापर्व 18 नवंबर से 20 नवंबर तक मनाया जाना है. नहाय खाय के साथ शुरू होने वाले इस पर्व में सूर्य भगवान की विशेष उपासना की जाती है. इसमें उगते और डूबते सूर्य की पूजा की जाती है. छठ का व्रत काफी कठिन और नियम के साथ किया जाता है.