रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आदिवासी समाज के लोग पेड़ों-पहाड़ों की पूजा करते हैं. आदिवासी समाज जंगलों को संरक्षण प्रदान करना ही अपना धर्म मानते हैं. जिस धर्म की आत्मा ही प्रकृति एवं पर्यावरण की रक्षा है उसको मान्यता मिलने से भारत ही नहीं पूरे विश्व स्तर पर प्रकृति प्रेम का संदेश पहुंचेगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज अपने धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए संघर्षरत है. मुख्यमंत्री सोरेन सरना धर्म कोड को लेकर प्रस्ताव पारित होने के पूर्व विशेष सत्र को संबोधित कर रहे थे. विशेष सत्र को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि आदिवासी सरना समुदाय पिछले कई वर्षों से अपने धार्मिक अस्तित्व की रक्षा के लिए जनगणना कोर्ट में प्रकृति पूजक सरना धर्मावलंबियों को शामिल करने की मांग कर रहे हैं.
प्रकृति पर आधारित आदिवासियों के पारंपरिक धार्मिक अस्तित्व की रक्षा की चिंता निश्चित तौर पर एक अहम सवाल है. आज सरना धर्म कोड की मांग उठने की वजह प्रकृति आदिवासी सरना धर्मावलंबी अपनी पहचान के लिए आश्वस्त होना है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड प्रदेश आदिवासी बहुल क्षेत्र है. यहां की एक बड़ी आबादी सरना धर्म को मानने वाली है. आदिवासी समाज प्रकृति के पुजारी हैं. मुख्यमंत्री सोरेन ने सरना धर्म कोड के फायदे भी बताये. उन्होंने बताया कि सरना धर्मावलंबी आदिवासियों की गिनती स्पष्ट रूप से जनगणना के माध्यम से हो सकेगी.